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लाडपुरा के रण में पुराने प्रतिद्वंदियों के बीच मुकाबला, भाजपा के बागी बने बड़ी चुनौती, यहां जानें समीकरण - लाडपुरा सीट पर कांग्रेस

Rajasthan assembly Election 2023, लाडपुरा सीट पर कांग्रेस ने एक बार फिर नईमुद्दीन गुड्डू को टिकट दिया है तो वहीं, भाजपा ने वर्तमान विधायक व पूर्व राजपरिवार की सदस्य कल्पना देवी को मैदान में उतारा है. हालांकि, यहां से भाजपा के बागी व पूर्व विधायक भवानीसिंह राजावत के ताल ठोकने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

Rajasthan assembly Election 2023
Rajasthan assembly Election 2023

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 11, 2023, 7:27 PM IST

Updated : Nov 12, 2023, 7:07 PM IST

कोटा.राजस्थान के चुनावी समर में कोटा की लाडपुरा सीट पर पुराने प्रतिद्धंदी एक बार फिर से आमने-सामने हैं. कांग्रेस ने जहां एक बार फिर नईमुद्दीन गुड्डू पर भरोसा जताया है तो वहीं, भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक व पूर्व राजपरिवार की सदस्य कल्पना देवी पर दांव खेला है, लेकिन मैदान में भाजपा के बागी व पूर्व विधायक भवानीसिंह राजावत के ताल ठोकने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विशेषज्ञ धीतेंद्र शर्मा इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष नहीं मानते हैं, लेकिन चुनावी गणित के अनुसार भाजपा के लिए उलझन भरी स्थिति जरूर हो गई हैं.

लाडपुरा में शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता बड़ी तादात में हैं. ऐसे में इस सीट पर पुराने दो चेहरों के बीच में ही इस बार मुकाबला माना जा रहा है. यह वोटर की संख्या के मामले में कोटा जिले की सबसे बड़ी सीट भी है. यहां से बीएसपी के हरीश कुमार लहरी, आजाद समाजवादी पार्टी काशीराम के उच्छबलाल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यूनाइटेड के घनश्याम जोशी, राइट टू रिकॉल पार्टी के दिनेश कुमार शर्मा और निर्दलीय मोहम्मद रफीक भी मैदान में हैं.

हार-जीत का समीकरण

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विकास में पिछड़ा लाडपुरा :लाडपुरा सीट पर सबसे बड़ा मुद्दा कोटा शहर से जुड़ी कॉलोनी के विकास का है. इनमें अधिकांश कॉलोनियों में सड़क, नाली, पटान, सीवरेज और पीने के पानी की पूरी व्यवस्था नहीं है. लोग बोरिंग का फ्लोराइड युक्त पानी पी रहे हैं. चंबल के नजदीक होने के बावजूद रायपुरा, थेकड़ा, देवली अरब जैसी कॉलोनियों में पेयजल की व्यवस्था नहीं है. वहीं, डीसीएम प्रेम नगर जैसे इलाकों में भी कमोबेश हालात एक जैसे ही हैं. यहां भी पानी की किल्लत बनी रहती है. अगर बात ग्रामीण इलाकों की करें तो सड़कों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. कोटा से कैथून मार्ग पिछले लंबे समय से जर्जर स्थिति में था. हालांकि, वर्तमान में उसका निर्माण हो रहा है. कोटा शहर के अन्य इलाकों में विकास तो हुआ, लेकिन लाडपुरा की बड़ी आबादी शहरी है. इसके बावजूद क्षेत्र पूरी तरह से विकास से महरूम है.

कैटेगरी के अनुसार समीकरण

1999 में कांग्रेस ने दी थी भाजपा को मात :साल 1990 से लेकर 2018 तक हुए सात विधानसभा चुनावों में महज एक बार कांग्रेस का प्रत्याशी यहां से चुनाव जीत पाया है और वह पूनम गोयल थीं. इस विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है. यहां से 1990 और 1993 में भाजपा के अर्जुन दास मदान विधायक बने थे. उसके बाद 1999 में कांग्रेस प्रत्याशी पूनम गोयल ने अर्जुन दास मदान को शिकस्त दी थी और वो विधायक बनी थीं. हालांकि, उसके बाद हुए चार चुनावों से यहां भाजपा लगातार जीतती आ रही है.

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तीन चुनाव जीते थे राजावत, कल्पना के नाम है ये रिकॉर्ड : पूर्व संसदीय सचिव भवानीसिंह राजावत ने 2003 के चुनाव में पूनम गोयल को हराया था. उसके बाद 2008 और 2013 में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी नईमुद्दीन गुड्डू को मात दी. वहीं, 2018 में भवानीसिंह का टिकट भाजपा ने काट दिया और उनकी जगह कल्पना देवी को चुनावी मैदान में उतारा. जबकि नईमुद्दीन गुड्डू की जगह उनकी पत्नी गुलनाज गुड्डू चुनाव लड़ी थी. वहीं, भाजपा ने यहां जीत दर्ज की और वो भी बड़ी मार्जिन से, जो अपने आप में बड़ा रिकॉर्ड रहा. इस चुनाव में कल्पना देवी 22237 वोट से विजयी हुई थीं.

लाडपुरा में जातियों के अनुसार वोट

वर्तमान में प्रधान हैं नईमुद्दीन गुड्डू :क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाताओं का बड़ा तबका होने से कांग्रेस बीते चार चुनावों से यहां मुस्लिम प्रत्याशी उतार रही है. जबकि भाजपा यहां पांचवें चुनाव में राजपूत प्रत्याशी पर दांव खेल रही है, जिनकी संख्या यहां 21 हजार के आसपास है. लाडपुरा से 2018 का चुनाव नईमुद्दीन गुड्डू की पत्नी गुलनाज गुड्डू लड़ी थीं, लेकिन उन्हें यहां हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, उसके बाद हुए कैथून नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. साथ ही नईमुद्दीन गुड्डू खुद भी पंचायत समिति लाडपुरा का चुनाव जीते थे और वर्तमान में कांग्रेस से प्रधान हैं. वहीं उनका बेटा मोइनुद्दीन गुड्डू बनियानी से सरपंच और शहर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. इसके अलावा उनका छोटा भाई रियाजुद्दीन नगर निगम दक्षिण से पार्षद हैं.

सीट पर ओबीसी वोटर्स का दबदबा :लाडपुरा सीट पर कैटेगरी के अनुसार देखा जाए तो ओबीसी वोटर करीब 126000 यानी करीब 44 फीसदी हैं. इनमें सबसे ज्यादा धाकड़ वोटर 31 हजार, गुर्जर 20500, माली 18500, बंजारा व कुम्हार 11 हजार हैं. इनमें भोई, कुशवाह, तेली, अहीर यादव, गाड़िया लोहार, नाई, कलाल और कहार शामिल हैं. दूसरा बड़ा वर्ग सामान्य वोटर्स का है. ये वोटर्स करीब 66 हजार हैं, जिनमें राजपूत 21 हजार, ब्राह्मण 19500, महाजन 12 हजार और लश्करी 12 हजार हैं. वहीं, एसी वोटर्स 25 हजार के करीब हैं. इनमें मेघवाल 6500, मेहर 3000, धोबी 2800, खटीक 2800, हरिजन 2700, बैरवा 2200, जागा 1600 व रैगर 1100 मतदाता सहित अन्य जातियां शामिल हैं.

इनके बीच होगा मुकाबला

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15 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता :लाडपुरा सीट पर कुल 277131 वोटर्स रजिस्टर्ड हैं. इनमें 148138 पुरुष, जबकि 138993 महिलाएं हैं. जातीय समीकरण के हिसाब से सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. इनकी संख्या 44500 के आसपास है तो वहीं, अल्पसंख्यक 46000 हैं, इनमें जैन, सिख और ईसाई सहित अन्य शामिल हैं. इसके बाद धाकड़ समाज के 31000 वोटर लाडपुरा सीट पर हैं. एसटी के वोट की बात करें तो ये करीब 22500 के आसपास हैं. इनमें मीणा 19500 हैं. उसके बाद 3 हजार भील वोटर्स हैं.

नईमुद्दीन गुड्डू का मजबूत पक्ष :क्षेत्र में अल्पसंख्यक तबके के सर्वाधिक वोट्स हैं. वर्तमान में नईमुद्दीन गुड्डू खुद प्रधान और परिवार के अन्य सदस्य भी जनप्रतिनिधि हैं. इसके अलावा प्रधान रहते हुए गुड्डू ने क्षेत्र में विकास के काम करवाए हैं.

नईमुद्दीन गुड्डू का कमजोर पक्ष : कांग्रेस प्रत्याशी नईमुद्दीन गुड्डू लगातार तीन चुनाव हार चुके हैं. साथ ही उनसे पार्टी के कई स्थानीय नेता भी खफा हैं. यही वजह है कि उन्हें चुनाव के दौरान अंदरूनी स्तर पर विरोध का भी सामना करना पड़ता रहा है. इसके अलावा शहरी वोटरों के बीच भी उनकी कोई खास पकड़ नहीं है.

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कल्पना देवी का मजबूत पक्ष :भाजपा प्रत्याशी कल्पना देवी पूर्व राजपरिवार की सदस्य हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें इसका फायदा भी मिला था और वो रिकॉर्ड वोट्स के अंतर से चुनाव जीती थीं. इसके अलावा उन्हें कोटा भाजपा के नेताओं का लगातार समर्थन भी मिलता रहा है.

कल्पना देवी का कमजोर पक्ष : क्षेत्र के आमजन से जुड़े पेयजल, सड़क, नाली, सीवरेज के काम विधायक रहते हुए वो नहीं करवा पाई. ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ता भी उनसे खफा हैं. कई बार पार्टी के कार्यकर्ता उनके विरोध में उतर चुके हैं. वहीं, पूर्व विधायक भवानीसिंह राजावत के निर्दलीय मैदान में उतरने से भी उन्हें खतरा है.

Last Updated : Nov 12, 2023, 7:07 PM IST

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