कोटा.बारां जिले के बारां अटरू सीट से कांग्रेस के दलित विधायक पानाचंद मेघवाल ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया (Congress MLA hurt by Jalore incident resigns) है. उन्होंने जालोर में नाबालिग छात्र के साथ हुई मारपीट के बाद हुई मौत के मामले से आहत होकर इस्तीफा दिया है. इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है.
मीडिया से बातचीत में मेघवाल ने बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने दलित समाज को शोषण से मुक्त करने के लिए संविधान में अधिकार दिए थे. जिनसे ही दलित का बेटा सरपंच, जिला प्रमुख, विधायक, मंत्री, राष्ट्रपति, आईएएस, आईपीएस, अध्यापक व सरकारी सेवा में जाए. हम 75 साल आजादी का जश्न मना रहे हैं, लेकिन आज भी समाज में संकीर्ण विचारधारा है. समाज में मौजूद कुछ असामाजिक तत्वों की वजह से इस तरह से भेदभाव किया जा रहा है. प्रदेश में इसे लेकर जन क्रांति लाने के लिए मैंने विधायक पद से इस्तीफा दिया है. प्रदेश में दलितों के सामाजिक अधिकारों का हनन हो रहा है और शोषण हो रहा है.
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फास्ट ट्रैक न्यायालय की स्थापना की जाए: मेघवाल ने कहा कि चाहे घोड़ी पर चढ़ने, जमीन हड़पने, मटकी से पानी पीने या मूछें रखने का मामला हो, दलित लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है. ऐसे भेदभाव की भावना को खत्म करने के लिए सख्त कानून बनाया (Pana Chand Meghwal demands fast track courts) जाए और ऐसे मामलों के लिए फास्ट ट्रैक न्यायालय की स्थापना की जाए. इस तरह के केसों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाकर त्वरित सजा दी जाए, ताकि इस प्रकार के कृत्य करने से पहले लोग डरें.
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हमारी सरकार में भी बढ़ गई है दलित अत्याचार की घटनाएं:मेघवाल ने कहा कि मैं इस मामले को लेकर जालोर भी जा रहा हूं. वहां पर मृतक छात्र इंद्र कुमार के परिवार को सांत्वना दूंगा और उसकी शांति के लिए भगवान से प्रार्थना भी करूंगा. उस परिवार को न्याय जब तक नहीं मिलेगा, मैं वहीं रहूंगा. सरकार अगर हमारी बात मान लेगी तो ठीक है, नहीं तो धरना भी दूंगा. मेघवाल ने कहा कि सरकार भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस की, दलितों के साथ लंबे समय से अत्याचार हो रहा है. सरकार कानून बनाकर इतिश्री कर लेती है, लेकिन उन कानूनों की पालना भी ठीक से नहीं होती है. जांच के नाम पर फाइलों को इधर-उधर न्याय प्रक्रिया में घुमाया जा रहा है. पिछले कुछ वर्षों से दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही है.
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मुद्दों को कई बार विधानसभा में उठाया, लेकिन प्रशासन हरकत में नहीं आया:उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के संविधान में दलितों और वंचितों के लिए जिस समानता के अधिकार का प्रावधान किया, उसकी रक्षा करने वाला कोई नहीं है. दलितों पर अत्याचार के ज्यादातर मामलों में एफआर लगा दी जाती है. ऐसे कई मामलों को मैंने विधानसभा में भी उठाया. उसके बावजूद भी पुलिस व प्रशासन हरकत में नहीं आया. जब हम हमारे समाज के अधिकार की रक्षा के लिए उन्हें न्याय दिलाने में नाकाम होने लगेंगे, तो हमें पद पर रहने का अधिकार नहीं है. इसीलिए विधायक पद से इस्तीफा देता (Pana Chand Meghwal resigns) हूं. मैं बिना पद के ही समाज के वंचित और शोषित वर्ग की सेवा कर सकता हूं.
उदयपुर कांग्रेस जिला परिषद सदस्य का भी इस्तीफा: इस घटना से आहत जिला परिषद उदयपुर के सदस्य विनोद कुमार मेघवाल ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजा है. विनोद ने अपने पत्र में लिखा कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी प्रदेश में दलित और वंचित वर्ग पर लगातार हो रहे अत्याचार से मेरा मन आहत है. विनोद ने लिखा कि पिछले कुछ वर्षों से दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. विनोद ने लिखा कि मेरी अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा देत रहा हूं. ताकि मैं बिना पद के ही समाज के वंचित और शोषित वर्ग की सेवा कर सकूं.