कोटा. शिक्षा नगरी कोटा में देशभर से विद्यार्थी अपना भविष्य बनाने के लिए पहुंच रहे हैं और इनकी संख्या अब साल दर साल बढ़ रही है. बीते साल हॉस्टल के लिए मारामारी देखने को मिली थी और अब इस साल भी ऐसे ही हालात सामने आ सकते हैं. क्योंकि विद्यार्थियों की क्वेरीज और एडमिशन बीते साल से इस बार अभी तक ज्यादा हो चुके हैं. सभी कोचिंग संस्थानों की बात की जाए तो अब तक करीब एक लाख से ज्यादा एडमिशन हो चुके हैं. यह संख्या बीते साल इस समय आधी ही थी.
ऐसे में इस बार भी कोचिंग संस्थानों के लिए विद्यार्थियों के एडमिशन का बूम कहा जा सकता है. कोटा के एक निजी कोचिंग संस्थान के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पंकज बिरला के अनुसार कोटा के सभी संस्थानों में करीब ढाई लाख के आसपास बच्चों की संख्या पहुंच सकती है. उनका खुद का कहना है कि उनके संस्थान में बीते साल भी 1 लाख 35 हजार विद्यार्थी कोटा आ गए थे. कोटा का आंकड़ा 2 लाख को क्रॉस कर गया था. ऐसे में जुलाई-अगस्त में हॉस्टल की समस्या हुई थी, लेकिन इस बार अप्रैल और मई महीने से ही यह समस्या स्टूडेंट्स को हो सकती है.
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5 लाख से ज्यादा आते हैं क्वेरीज करनेः कोटा को मिनी इंडिया कहा जाता है. यहां पर देश का कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश नहीं होगा, जहां से विद्यार्थी कोचिंग करने के लिए नहीं आते हैं. कोटा के कोचिंग संस्थान के संस्थापक निदेशक गोविंद माहेश्वरी ने बताया कि साल 2022 में 5 लाख से ज्यादा विद्यार्थी अपने पैरंट्स के साथ कोटा में एडमिशन की क्वेरीज के लिए आए थे. यह संख्या लगातार बढ़ती रही है. बाकी इनमें से करीब 40 फीसदी यानी 2 लाख विद्यार्थियों ने ही एडमिशन लिया था. ऐसे में इस बार यह संख्या बढ़कर छह लाख से ज्यादा हो सकती है.
विद्यार्थियों को हो सकती है एकमोडेशन की समस्याः दूसरी तरफ विद्यार्थियों की क्वेरीज भी हॉस्टल के लिए भी आना शुरू हो गई है. करीब 40 हजार रूम प्री बुक हो गए है, लेकिन विद्यार्थियों की बढ़ी हुई संख्या व कोटा में एकमोडेशन कमी से समस्या होगी. यह समस्या बाहर से आने वाले विद्यार्थियों को सामने झेलनी पड़ सकती है. बीते साल भी यह समस्या आई थी, लेकिन विद्यार्थियों के पुराने बैच के देरी के चलते यह समस्या हुई थी. जबकि इस बार विद्यार्थी की संख्या ज्यादा होने के चलते एकमोडेशन की समस्या का सामना लोगों को करना पड़ेगा. बीते सालों में कई महीने तक विद्यार्थियों को कोचिंग से कई किलोमीटर दूर पीजी में रहना पड़ा था. इसका समाधान भी बीते साल अक्टूबर-नवंबर में हुआ था.
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