कोटा. नगरीय परिवहन सेवा की 24 बसें पिछले 20 दिनों से कुन्हाड़ी डिपो पर खड़ी है. यहां से वे सड़क पर नहीं उतर रही है. इसका खामियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं. जो इन बसों से सफर करते थे. शहर के 10 रूटों पर चलने वाली यह बसें नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के चलते बंद है.
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पहले तो नगर निगम के अधिकारियों ने नया टेंडर नहीं किया और पुराने वाले संवेदक को भी कार्य आदेश नहीं दिए, बाद में जब कार्य आदेश दिए गए हैं तो संवेदक ने छह करोड़ बकाया होने का हवाला देकर बसों का संचालन सुचारू नहीं किया. बसें बंद होने के चलते कोटा बस सर्विस कॉरपोरेशन को भी लाखों रुपए की चपत लग चुकी है. जबकि पिछले 2 सालों से दशहरे के मौके पर दशहरा मैदान तक अतिरिक्त बसें नगर निगम संचालित करता आया है.
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नगर निगम ने इन बसों का संचालन कर रही आर्या ट्रांस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड का वर्क आर्डर समाप्त होने पर दोबारा उसे कार्य नहीं दिया था. साथ ही नया टेंडर भी नगर निगम ने नहीं किया. इसके चलते 22 सितंबर को उसने सिटी बसों का संचालन रोक दिया था. नगर निगम के अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी. मीडिया में खबरें उछलने के बाद मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचा और उसके बाद 5 अक्टूबर को अधिकारियों ने बसों को संचालित कर रही कंपनी को आनन-फानन में वर्क ऑर्डर जारी किया. जिसमें मार्च 2020 या नया टेंडर हो जाने तक बसों का संचालन सुचारू रखने का आदेश दिया, लेकिन संवेदक ने 6 करोड़ बकाया होने का हवाला देते हुए बसों का संचालन शुरू नहीं किया.
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बस संचालित कर रही कंपनी के कार्मिकों का कहना है कि उन्हें जिस पेट्रोल पंप से बसों के लिए ईंधन लेना पड़ता है, उसने डीजल देने से मना कर दिया है. साथ ही ड्राइवरों की तनख्वाह और बसों की मरम्मत का पैसा भी उनके पास नहीं है. कई बसों के टायर सही नहीं है. इस हालात में भी बसों को सड़क पर नहीं उतार सकते हैं. दुर्घटना का खतरा भी है. नगर निगम से उन्होंने पैसे की मांग कर दी है, ऐसे में बसें फिलहाल बंद ही है. बसों के बंद होने के चलते केबीसीएल को लाखों रुपए की चपत लग चुकी है.