एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा कोटा.ज्वाइंट इंप्लीमेंटेशन कमेटी (JIC) की ओर से आईआईटी संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड 2023 की रिपोर्ट जारी कर दी गई है. रिपोर्ट में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार जेईई एडवांस्ड 2023 में करीब 28 फीसदी अंक पाने वाले स्टूडेंट को भी आईआईटी की बीटेक, इंटीग्रेटेड एमटेक और ड्यूल डिग्री कोर्स में एडमिशन मिल गया है.
कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि साल 2023 की रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक जेईई एडवांस्ड 2023 के लिए 2.5 लाख विद्यार्थी पात्र घोषित किए गए थे, जिनमें से 1.8 लाख विद्यार्थियों ने ही जेईई एडवांस्ड की दोनों परीक्षा के दोनों पेपर में शामिल हुए थे. इस परीक्षा की खासियत यह है कि दोनों पेपर देने वाले विद्यार्थियों के ही परिणाम जारी होते हैं.
2023 से 2022 का पेपर रहा कठिन :देव शर्मा ने ज्वाइंट इंप्लीमेंटेशन कमेटी के पिछले 5 साल की रिपोर्ट्स के आंकड़ों को लेकर कहा कि साल 2023 की तुलना में 2022 के पेपर अधिक कठिन थे. स्टूडेंट को आईआईटी में बीटेक, इंटीग्रेटेड एमटेक व ड्यूल डिग्री पाठ्यक्रमों में 28 फीसदी अंकों पर ही प्रवेश मिल गया. वहीं, साल 2022 में मात्र 21 फीसदी अंकों पर ही प्रवेश मिला था. बीते साल से सीट बढ़ने के बावजूद भी कट ऑफ ज्यादा ऊपर गई. यह बीते साल से 7 फीसदी ज्यादा है.
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देव शर्मा ने बताया- ''आंकड़ों से यह साफ हो जाता है कि ऑल इंडिया में पहला स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थी का अंक प्रतिशत 87 से 94 फीसदी के इर्द गिर्द रहा. जबकि कॉमन रैंक लिस्ट में 17385 ऑल इंडिया रैंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी का प्रतिशत करीब 21 से 30 के आसपास है. वहीं, 2019 में यह अधिकतम 30.37 था, लेकिन 2022 में महज 21 फीसदी हो गया था. यह प्रतिशत न्यूनतम था.
क्या कहते हैं पिछले 5 सालों के आंकड़े : साल 2023 में पूर्णांक 360 से पहली रैंक लाने वाले विद्यार्थी के 341 अंक यानी 94 फीसदी थे. वहीं, अंतिम रैंक आने वाले विद्यार्थी के अंक 28 फीसदी यानी 103 है, जिसकी रैंक 17385 है. आपको बता दें कि साल 2023 में आईआईटी सीटों की संख्या पिछले साल के सापेक्ष 16000 से बढ़कर 17385 हो गई है.
- साल 2022 में पूर्णांक 360 से पहली रैंक लाने वाले विद्यार्थी के 314 अंक यानी 87.22 फीसदी थे. वहीं, 16001 रैंक लाने वाले विद्यार्थी के अंक 21 फीसदी यानी 76 रहे.
- साल 2021 में पूर्णांक 360 से पहली रैंक लाने वाले विद्यार्थी के 348 अंक यानी 96.66 फीसदी थे. वहीं 16001 रैंक लाने वाले विद्यार्थी के अंक 25.27 फीसदी यानी 91 रहा.
- साल 2020 में पूर्णांक 396 से पहली रैंक लाने वाले विद्यार्थी के 352 अंक यानी 88.88 फीसदी थे. वहीं, 16001 रैंक लाने वाले विद्यार्थी के अंक 24.74 फीसदी यानी 98 रहा.
- साल 2019 में पूर्णांक 372 से पहली रैंक लाने वाले विद्यार्थी के 346 अंक यानी 93 फीसदी थे. वहीं, 16001 रैंक लाने वाले विद्यार्थी के अंक 30.37 फीसदी यानी 113 रहा.