कोटा. थेगड़ा इलाके में एक व्यक्ति ने अपने प्लॉट में कुत्ते के शव को दफना दिया. जिसको लेकर विवाद हो गया और स्थानीय नागरिकों ने आपत्ति जताई. पुलिस, नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और दफनाए गए कुत्ते के शव को प्लॉट से निकलवाया गया है. स्थानीय नागरिकों का कहना हैं कि वहां पर लोग रोज ही मातम मनाने के लिए आ जाते थे और पूजा और कर्मकांड भी करते थे. इससे स्थानीय निवासियों में भय व्याप्त हो गया.
कोटा में कुत्ते के शव को दफनाने पर विवाद प्लॉट मालिक स्थानीय नागरिकों से कहा था कि वहां पर मंदिर बनवाएगा. इसी के चलते उसने कुत्ते को वहां गाड़ा है, जिसके बाद विवाद भी शुरू हो गया. मामले के अनुसार विज्ञान नगर इंदिरा कॉलोनी निवासी भूरा यादव का पालतू कुत्ता 2 दिन पहले मर गया. जिसको उसने और परिजनों ने कर्मकांड करते हुए थेगड़ा की रॉयल सनसिटी स्थित खाली प्लॉट में दफना दिया. जहां पर उसके परिजनों ने पूजा भी की और रोज आकर वहां पर पालतू कुत्ते की याद में दुख भी व्यक्त करते थे. साथ ही दीपक जलाकर जा रहे थे. इससे स्थानीय नागरिकों में भय व्याप्त हो गया और उन्होंने इसका विरोध किया. इस दौरान उन्होंने भूरा यादव से जब इस कुत्ते को बाहर निकलवाने के लिए कहा तो वह नाराज हो गया. वहीं मोहल्ले वालों से झगड़ने पर उतारू हो गया.
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स्थानीय रूप नारायण यादव ने पार्षद दीप कंवर को सूचना दी. उसके बाद भाजपा नेता और पार्षद प्रतिनिधि ओम खटाना भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने जिला प्रशासन तहसीलदार, नगर निगम और पुलिस को इस संबंध में सूचना दी. जानकारी मिलने के बाद सभी मौके पर पहुंचे और तहसीलदार लाडपुरा शिक्षा पवन, नायब तहसीलदार विनय चतुर्वेदी, उद्योगनगर थाना प्रभारी मोहम्मद इब्राहिम और नगर निगम मौका स्थल पर पहुंची. नायब तहसीलदार विनय चतुर्वेदी ने नगर निगम की टीम को निर्देश दिए कि वह खाली प्लॉट से इस कुत्ते के शव को बाहर निकाले. इसके बाद कार्रवाई की गई. इस दौरान भी प्लॉट मालिक भूरा यादव आक्रोशित हो गया और वह कुत्ते के दुख में रोने भी लग गया. हालांकि, स्थानीय लोगों की आपत्ति के चलते प्रशासन ने कार्रवाई को सुचारू रखा. दफनाए गए कुत्ते के शव को खाली प्लॉट से बाहर निकाला गया और नगर निगम की टीम ने उसे अन्यत्र ले गई. स्थानीय लोगों का कहना है कि कॉलोनी के बीच में इस तरह से कुत्ते को दफना देना सही नहीं था.
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प्लॉट मालिक भूरा यादव का कहना है कि वह मूलत बिहार का रहने वाला है और वहां पर काल भैरव की पूजा उनके परिजन करते थे. इसी के चलते उन्होंने कुत्ता पाला हुआ था. उस कुत्ते से पूरे घर वालों को लगाव था. कुत्ते की मौत हो जाने पर पंडित नहीं उसे दफन करने के लिए कहा था, जहां पर मंदिर भी बनाने के लिए निर्देशित उसे किया था. उसके दुख में ही पूरा परिवार गमगीन है. इसी के चलते उसने अपने खाली प्लॉट नहीं कुत्ते को दफनाया था.