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बाल संरक्षण आयोग ने लोगों से की अपील, अनाथ बच्चों की करौली के इन हेल्पलाइन नं. पर दें सूचना

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Published : May 11, 2021, 8:38 PM IST

कोरोना काल के दौरान कई बच्चे अनाथ हो चुके हैं. ऐसे में करौली में बाल संरक्षण आयोग ने अनाथ हुए बच्चों की देखरेख और संरक्षण के लिए एक एडवाइजरी जारी की है. जिसमें आयोग ने लोगों से अपील की है कि यदि कोरोना काल में कोई बच्चा अनाथ हुआ हो तो निम्नलिखित नंबरों पर सूचना दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों की पहचान भी गोपनीय रखी जाएगी.

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बाल संरक्षण आयोग ने अनाथ हुए बच्चों को लेकर जारी की एडवाइजरी

करौली.जिले में कोरोना महामारी के भीषण प्रकोप से अनाथ हुए बच्चों की देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए बाल संरक्षण आयोग की ओर से एडवाइजरी जारी कर अनाथ बच्चों की सूचना जिला बाल सरंक्षण ईकाई में देने की अपील की गई है.

इसके साथ ही अवैध रूप से खरीद फरोख्त करने वाले लोगों के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी जारी की गई है. राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा संगीता बेनीवाल की ओर से कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की सूचना चाईल्ड हेल्पलाइन नं. 1098, करौली जिला बाल संरक्षण ईकाई की सहायक निदेशक रिकीं किराड के व्हाटसअप नं. 9983393254, बाल कल्याण समिति करौली के अध्यक्ष विनोद कुमार व्हाटसअप नं. 9413182640, संरक्षक अधिकारी सविता शर्मा के व्हाटसअप नं. 8441953750 और स्थानीय पुलिस अथवा बाल आयोग व्हाटसअप नं. 8441953750 को उपलब्ध कराने की अपील की है.

उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों की देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की श्रेणी में आते हैं. राज्य सरकार की ओर से किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत ऐसे बच्चों की गोपनियता को संरक्षित रखते हुए उचित देखभाल की व्यवस्था की गई है और जिले में राजकीय सम्प्रेषण एवं किशोर गृह करौली और राजकीय विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण एजेंसी करौली संचालित है. ऐसे बच्चों की पहचान को गोपनीय रखना आवश्यक है. ऐसे बच्चों को बाल कल्याण समिति करौली के माध्यम से 0-6 वर्ष तक बच्चों को दत्तक ग्रहण एजेंसी और 6-18 वर्ष तक के बच्चों को राजकीय किशोर गृह करौली या जिले में राज्य सरकार के अधीन संचालित गैर राजकीय बालक-बालिका गृहों में संरक्षण दिया जाता है.

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उन्होंने बताया कि यदि कोई ऐसे बच्चों की खरीद फरोख्त करता है तो उस पर किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 81 के अनुसार 5 साल की सजा और एक लाख जुर्माना का प्रावधान है.

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