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पद्मश्री अवार्ड: विदेशों में अपनी सारंगी से राजस्थानी लोक संगीत का जादू बिखेरने वाले लाखा खान की कहानी

राजस्थान के लोकसंगीत को दुनिया भर में पहचान दिलाने वाले लाखा खान को पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा. लाखा खान सारंगी वादक हैं, उनके पिता, दादा और नाना भी सारंगी बजाते थे. उन्होंने अपने पिता से बचपन में सारंगी की ट्रेनिंग ली थी.

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Published : Jan 26, 2021, 5:10 PM IST

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राजस्थान के लोकगायक लाखा खान

फलोदी (जोधपुर).राजस्थान के लोकसंगीत को दुनिया भर में पहचान दिलाने वालेलाखा खान को पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा. लाखा खान का जन्म जोधपुर जिले की बाप तहसील के राणेरी गांव में 1945 में हुआ था. लाखा खां ने पिता ठारू खां से सारंगी बजाने की ट्रेनिंग छुटपन में ही लेनी शुरू कर दी थी. उनके दादा, नाना भी सारंगी कला में पारंगत थे. 12 साल की उम्र में ही उन्होंने सारंगी बजाना शुरू कर दिया था. उसके बाद वो छोटे-बडे़ प्रोग्रामों में सारंगी बजाने लगे.

लाखा खान की कहानी

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लाखा खां ने कोलकत्ता, जयपुर, मुम्बई में परफॉर्म कर चुके हैं. विदेशों में भी उनकी सारंगी की धुन के लोग दिवाने हैं. उन्होंने अमेरिका में 6 बार ,पेरिस में 3 बार, लंदन, मॉरिसिस, जर्मनी, जापान, फ्रांस सहित 15 देशों में परफॉर्म कर चुके हैं. लाखा हिंदी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं. उन्होंने परिणिति फिल्म में झिमी चादर झिमी गाना गाया था. 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने, 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने उन्हें सम्मानित किया है.

पिता से बचपन में सीखी थी सारंगी

अब 2021 में केंद्र सरकार ने पद्म श्री के लिए उनको चुना है. लाखा खां 60 साल से सांरगी वाद्य कला का प्रदर्शन रहे है. प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रविशंकर के साथ भी लाखा खां ने स्टेज शेयर किया है. इसके अलावा कत्थक डांसर बिरजू महाराज के साथ भी इन्होंने परफॉर्म किया है.

2002 में अशोक गहलोत ने लाखा खान को सम्मानित किया था

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