जोधपुर. रातानाडा थाने में परिवादी को राशि लौटाते समय एसीबी की गिरफ्त में आए पुलिस निरीक्षक भूपेंद्र सिंह चारण को शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट में जमानत मिल गई है. चारण की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मनोज गर्ग ने जमानत के आदेश दिए.
परिवादी को राशि लौटाते समय पकड़े गए रातानाड़ा थानाधिकारी को मिली जमानत
पुलिस निरीक्षक भूपेंद्र सिंह चारण को अदालत ने जमानत दे दी है. ये मामला फर्जी आईआरएस बनकर कोचिंग देने वाले विक्रम सिंह राठौड़ से संबंधित था, जिसमें राशि थाने में जब्ती नहीं दिखाने और एसीबी की कार्रवाई शामिल है.
चारण की ओर से अधिवक्ता विक्रम सिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखा, जबकि सरकारी अधिवक्ता ने जमानत का विरोध किया. लेकिन अदालत ने उसे दरकिनार कर चारण को जमानत देने के आदेश दे दिए. सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि अभी इस मामले में सब-इंस्पेक्टर गणपतराम की गिरफ्तारी बाकी है. ऐसे में जमानत नहीं दी जानी चाहिए. जबकि चारण के अधिवक्ता विक्रम सिंह ने कहा कि पुलिस निरीक्षक की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है. मामले का अनुसंधान अधिकारी गणपतराम था. इस पर कोर्ट ने चारण को जमानत दे दी.
गौरतलब है कि विक्रम सिंह राठौड़ नामक युवक के खिलाफ मई 2019 में रातानाडा थाने में फर्जी आईआरएस बनकर कोचिंग देने का मामला दर्ज हुआ था. इस मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई थी. गिरफ्तारी के बाद विक्रम के घर की तलाशी में साढे चार लाख रुपए बरामद हुए थे. आरोप है कि गणपताराम व भूपेंद्र सिंह ने राशि थाने में जब्ती नहीं दिखाकर अपने पास रख ली. जब विक्रम सिंह को जमानत मिली तो वह अपनी राशि मांगने पहुंचा तो उसे मना कर दिया गया.
इस बीच उसने इसकी शिकायत एसीबी को कर दी, साथ ही उसने चारण से उसके पास सीसीटीवी फूटेज होने की बात कही. जिसमें गणपतराम उसके घर पर आया था. जहां उसे एक लाख रुपए लौटाना तय हुआ, जिसे लेने के लिए जब वह 21 जून को थाने लेने गया तो एसीबी ने भूपेंद्र सिंह चारण को रुपये लौटाते हुए गिरफ्तार कर लिया. मामले में गणपतराम अब भी फरार है.