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पुलिस पर दुष्कर्म के आरोपियों को बचाने का आरोप, पीड़िता ने की दोबारा जांच की मांग - victim demands re investigation

जोधपुर में एक दुष्कर्म पीड़िता ने पुलिस पर गलत जांच करने और (Rape victim alleges police) मामले में आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया. साथ ही इस मामले में दोबारा जांच की भी मांग की.

victim demands re investigation
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Published : Dec 6, 2022, 7:29 PM IST

जोधपुर. जिले के ग्रामीण ओसियां थाना पुलिस पर मंगलवार को एक दुष्कर्म पीड़िता व उसके अधिवक्ता ने (Serious allegations on Jodhpur police) गलत जांच कर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया. इस दौरान मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए पीड़िता के अधिवक्ता ने कहा कि सितंबर में नाबालिग विवाहिता ने अपने ससुर और देवर के खिलाफ दुष्कर्म कर गर्भपात कराने का मामला दर्ज कराया था. इसके बाद पीड़िता अपने ससुराल चली आई थी. अधिवक्ता ने बताया कि पीड़िता का पति सेना में है और कुछ दिनों बाद वह ड्यूटी पर लौट गया था.

ऐसे में पीड़िता का देवर उस पर बुरी नजर रखने लगा और एक दिन मौका पाकर उसने (Jodhpur police accused of saving the accused) उसके साथ दुष्कर्म जैसी घिनौनी वारदात को अंजाम दिया. हालांकि घटना के बाद पीड़िता ने अपने पति को पूरी आपबीती सुनाई, जिसके बाद उसके पति ने अपने भाई को भला बुरा कहा. लेकिन आरोपी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और आखिरकार उसने धमकी देनी शुरू कर दी. इसी बीच पीड़िता गर्भवती हो गई. जिसके बाद जबरन उसका गर्भपात करवाया गया.

इधर, कुछ समय बाद आरोपी के पिता यानी पीड़िता के ससुर ने भी उसके साथ दुष्कर्म किया. वहीं, जब पीड़िता ने उक्त घटना से परिजनों को अवगत कराया तो उसका पति उससे नाराज हो गया. उसने भी उसे भला बुरा कहा. इसके बाद वह अपने पिता के घर आ गई.

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आरोप है कि मामला दर्ज करवाने के बावजूद पुलिस ने जांच के दौरान वारदात में संलिप्त देवर-ससुर सहित अन्य आरोपियों को पॉक्सो व दुष्कर्म की धाराओं से बरी कर दिया. आखिरकार पीड़िता के पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की धाराएं लगाकर चालान पेश किया गया. ऐसे में मंगलवार को पीड़िता ने इस मामले की दुबारा जांच करने की मांग करते हुए पुलिस के सर्तकता विभाग को अपनी अर्जी भेजी है. बता दें कि इस मामले की जांच ओसियां थानाधिकारी बाबूलाल, वर्तमान एसएचओ सुरेश चौधरी और वृताधिकारी नूर मोहम्मद ने की है.

​जन्म से पहले करा दी शादी: पीड़िता के अधिवक्ता लिखराम उपाध्याय ने दावा किया कि 2004 में सामूहिक विवाह के दौरान पीड़िता की शादी हुई थी. उस समय वह तीन महीने की थी. लेकिन पुलिस ने यह विवाह 2000 में होना अपनी जांच में बताया, जबकि उस समय पीड़िता का जन्म भी नहीं हआ था. पुलिस की रिपोर्ट में 2004 में पीड़िता के जन्म का उल्लेख किया गया है. हालांकि, इस तारीख को उसके भाई का आधार कार्ड बना था. जिसके चलते पॉक्सो की धाराएं हट गई. साथ ही पुलिस ने इस वारदात को दुष्कर्म भी नहीं माना.

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