जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अरूण भंसाली व जस्टिस राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने विवाह विच्छेद के मामले में समयावधि को कम करने के लिए दायर अपील पर महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट को भी अधिकार है कि वे तलाक की समयावधि को घटा सकते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अमरदीप सिंह व अमित कुमार के निर्णय में दिए निर्देशों की पालना आवश्यक है.
हाईकोर्ट के समक्ष तरूण चौधरी व मदिता गौड़ ने हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 बी (2) के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए जोधपुर की फैमिली कोर्ट में संयुक्त प्रार्थना पत्र पेश किया था. अधिनियम के तहत पेश आवेदन को फैमिली कोर्ट ने 29 अप्रैल, 2023 को खारिज कर दिया था. फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष अपील पेश की गई. सुप्रीम कोर्ट ने शिल्पा शैलेश के निर्णय में कहा कि संविधान पीठ भारत के संविधान की ओर से प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए प्रतीक्षा अवधि को समाप्त कर सकती है.
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सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष एक विधिक प्रश्न खड़ा हुआ कि क्या हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट भी प्रतीक्षा अवधि को समाप्त कर सकते हैं या नहीं. सुप्रीम कोर्ट के पास संविधान प्रदत्त शक्तिया हैं, लेकिन हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट क्या निर्णय करेंगे. हाईकोर्ट ने इस मामले में अधिवक्ता संजीत पुरोहित को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए विधिक प्रश्न पर सहयोग करने का अनुरोध किया. न्यायमित्र संजीत पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट के तीनों निर्णय का अध्ययन करने के बाद कोर्ट को सुनवाई में सहयोग किया.