राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

मनरेगा का रुख जोहड़ से खेतों की ओर मुड़ा, नतीजा साल भर का लक्ष्य 3 माह में

झुंझुनू जिले में इस साल महात्मा गांधी मनरेगा योजना में श्रमिकों को काम देने के पिछले सभी रिकॉर्ड टूट चुके है. कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन में मनरेगा योजना में लोगों ने रोजगार का प्रतिशत बढ़ा दिया है. जिससे पिछले सभी रिकॉर्ड टूट चुके हैं.

rajasthan news, jhunjhunu news
महात्मा गांधी मनरेगा योजना में श्रमिकों को दिया जा रहा काम

By

Published : Aug 25, 2020, 10:37 PM IST

झुंझुनू. महात्मा गांधी मनरेगा योजना में झुंझुनू जिले में राजस्थान के सभी 33 जिलों में सबसे कम श्रमिकों को काम देने का पिछले 4 साल का रिकॉर्ड इस बार टूट गया है. सामान्य धारणा रही है कि झुंझुनू जिले में नौकरियां और सिंचित खेती होने के कारण मनरेगा जैसी कम मजदूरी वाली योजना में लोग रोजगार नहीं मांगते, लेकिन लॉकडाउन के दौरान और कोरोना काल मे लोगों ने रोजगार मांगकर पिछले सालों का रोजगार का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.

महात्मा गांधी मनरेगा योजना में श्रमिकों को दिया जा रहा काम

किए गए 24 लाख रोजगार सर्जित

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और मनरेगा के अतिरिक्त जिला समन्वयक रामनिवास जाट के अनुसार पिछले चार सालों में प्रतिवर्ष औसत 24 लाख रोजगार दिवस सृजित किए गए थे, जबकि इस साल प्रथम साढ़े चार माह में अर्थात एक तिहाई समय में ही 24 लाख रोजगार दिवस सृजित कर दिए गए है. मनरेगा वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी पिछले चार साल के दौरान औसत प्रतिवर्ष 32 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, जबकि इस साल की प्रथम एक तिहाई अवधि में ही 32 करोड़ 80 लाख रुपए का खर्चा किया गया है.

सारे हुए उपयोगी काम

पिछले साल तक जिले में कुल रोजगार में से 60 प्रतिशत से अधिक जोहड़ खुदाई जैसे मिट्टी इधर-उधर करने के काम हुए, जबकि इस साल जून के बाद जोहड़ खुदाई के सभी कार्य अनुपयोगी मानकर बंद कर दिए गए और लोगों के खेतों में कुंड, केटल शेड, वृक्षारोपण जैसे 3 हजार से अधिक कार्यों पर मानसून के दौरान भी 35 हजार श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार दिया जा रहा है.

उल्लेखनीय है कि जुलाई माह में पूरे राजस्थान में 53 लाख श्रमिक मनरेगा में नियोजित थे जो अगस्त के तीसरे सप्ताह में केवल 18 लाख रह गए. जबकि झुंझुनू जिले में इस अवधि में 40 हजार से 35 हजार अर्थात केवल 5 हजार श्रमिक कम हुए हैं.

पढ़ें-झुंझुनूः एक ही परिवार के लोगों के बीच हुआ खूनी संघर्ष, 12 से ज्यादा लोग घायल

मस्टरोल पर कर रहे काम

जिले में वर्तमान में नियोजित 35 हजार श्रमिकों में से 24 हजार अर्थात 70 प्रतिशत श्रमिक अपने खेतों में मस्टररोल पर सुधार कर रहे हैं. मनरेगा कार्यों का रुख खेतों की ओर मोड़ देने के कारण अब जिले में किसी जोहड़, रास्ते या सड़क के मनरेगा कार्य पर भीड़ नहीं दिखती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details