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रिकॉर्ड तोड़ सर्दी के बाद गर्मी ने ढाया 'चेरी ऑफ डिजर्ट' पर कहर...ना आए फूल, ना लगे कैर - Corona virus

राजस्थान में मिलने वाला कैर का पेड़ इस बार मुर्झा गए है. पहले इसे सर्दियों ने मारा, इसके बाद गर्मियों में भी तापमान लगातार गिरता रहा और बीच-बीच में बारिश होती रही, जिसके कारण कैर में जो पुष्प पल्लवित होना था, वह बिल्कुल नहीं हो पाया. इसे चेरी ऑफ डिजर्ट भी कहा जाता है.

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गर्मी ने ढाया 'चेरी ऑफ डिजर्ट' पर कहर

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Published : May 30, 2020, 9:07 PM IST

झुंझुनू.'बैठणो छाया मैं हुओ भलां कैर ही, रहणो भायां मैं हुओ भलां बैर ही' मारवाड़ की यह यह कहावत इसलिए बनी थी कि भले ही कैर के पेड़ की छाया घनेदार नहीं होती हो, लेकिन वहां बैठने के दूसरे बहुत फायदे होते हैं. यह दक्षिण और मध्य एशिया, अफ्रीका और थार के मरुस्थल में मुख्य रूप से प्राकृतिक रूप में मिलता है, लेकिन भारत में केवल मुख्यतः राजस्थान में ही मिलता है. इसमें लाल रंग के फूल आते हैं और इसके कच्चे फल की सब्जी बनती हैं, जो राजस्थान में बहूत प्रचलित हैं.

गर्मी ने ढाया 'चेरी ऑफ डिजर्ट' पर कहर

कैर के पके फलों को राजस्थान में स्थानीय भाषा ढालु कहते हैं. यह सब इम्यूनिटी को बढ़ाने और मरुस्थल में रहने वाले लोगों को यहां की जलवायु में ढालने में खासा उपयोगी होता है, लेकिन आज जब कोरोना वायरस के चलते इम्यूनिटी बढ़ाने की जरूरत है तो इस बार की रिकॉर्ड तोड़ सर्दी ने गर्मियों में राजस्थान के लोगों को इससे महरूम कर दिया है. पहले इसे सर्दियों ने मारा, इसके बाद गर्मियों में भी तापमान लगातार गिरता रहा और बीच-बीच में बारिश होती रही, इसके चलते कैर में जो पुष्प पल्लवित होना था, वह बिल्कुल नहीं हो पाया.

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कहा जाता है चेरी ऑफ डिजर्ट

जी हां, इस समय चेरी ऑफ डिजर्ट कहे जाने वाले कैर हरी सब्जियों से लदे हुए रहते थे, जो इस बार खुद पीले पड़ गए हैं. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि रिकॉर्ड तोड़ सर्दी की वजह से राजस्थान के शुष्क जलवायु में पनपने वाले पेड़ भी मृत जैसे हो गए और इसलिए कैर भी अपने पुराने स्वरूप में नहीं लौट पाए. गर्मियों में इसका उल्टा हुआ और इस बार मार्च-अप्रैल का मौसम जितना तपना किए था. उतना नहीं तपा और इसलिए इस बार इन पर कैर लगे भी नहीं है.

झाड़ी नुमा होता है पेड़

कैर एक मध्यम या छोटे आकार का पेड़ है. यह पेड़ 5 मीटर के आसपास पाया जाता है. यह प्राय: सूखे क्षेत्रों में पाया जाता है. इसमें दो बार मई और अक्टूबर में फल लगते हैं. इसके हरे फलों का प्रयोग सब्जी और आचार बनाने में किया जाता है. इसके सब्जी और आचार अत्यन्त स्वादिष्ट होते हैं. इसके पके लाल रंग के फल खाने के काम आते हैं. हरे फल को सुखाकर उनका उपयोग कढी बनाने में किया जाता है. सूखे कैर फल के चूर्ण को नमक के साथ लेने पर तत्काल पेट दर्द में आराम पहुंचाता है.

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पोषक तत्वों से भरपूर 'कैर'

अगर कैर में पोषक तत्त्व की बात की जाए तो ऊर्जा से भरपूर कैर में कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए और कार्बोहाइड्रेट्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त कैर की सब्जी विभिन्न रोगों से बचाती है. सूखे कैर को पीसकर इसका चूर्ण बनाकर सुबह खाली पेट लेने से मधुमेह में लाभ मिलता है. कैर के डंठल से बने चूर्ण से कफ और खांसी में आराम होता है. कैर की छाल के चूर्ण से पेट साफ रहता है और कब्ज की समस्या दूर होती है.

इसलिए यह पेट संबंधी, जोड़ों के दर्द, दांत दर्द, गठिया, दमा, खांसी, सूजन, बार-बार बुखार होना, मलेरिया, डायबिटीज, बदहजमी, एसिडिटी, दस्त और कब्ज में काफी लाभदायक होता है. यह फल कड़वा होता है, इसे खाने योग्य बनाने के लिए मिट्टी के मटके में पानी में नमक का घोल बनाकर कई दिनों तक डूबोकर रखा जाता है, जिससे इसका कड़वापन खत्म होकर खट्टा-मीठा स्वाद हो जाता है.

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