झुंझुनू. समय की धारा जब बदलती है तो अपने साथ कई तरह के बदलाव लाती है और कुछ इसी तरह से मोटे अनाज पैदा करने वाली शेखावाटी की धरती पर डायनामाइट ऑफ न्यूट्रिशन यानी मोरिंगा के पेड़ भी फलने फूलने लगे हैं. वैसे तो मोरिंगा यानी सहजन देश के कई हिस्सों में बहुतायत में पाया जाता है, लेकिन दक्षिणी भारत में लोग बेहद सहज तरीके से पोषण के रूप में इसको सदियों से काम में लेते आ रहे हैं. शरीर को मिलने वाले हर पोषण को रखने वाले इस मोरिंगा को शेखावाटी में बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर भी विशेष प्रयास कर रहा है. खुद की नर्सरी में हजारों पौधे सहजन के शेखावाटी के लोगों को उपलब्ध करवाने के लिए तैयार करवा रखे हैं तो डेमो के रूप में खुद के यहां एक बड़ा बाग भी लगा रखा है.
पोषण वाटिकाओं की भी शान है सहजन
पोषण के मामले में सहजन के फल पति और फूल सभी में औषधीय गुण पाए जाते हैं और इसलिए महिला और बाल अधिकारिता विभाग की ओर से जिले में तैयार करवाई जा रही करीब 400 पोषण वाटिकाओं में भी सहजन को विशेष रुप से लगाए गए हैं. जिससे कि आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों को इसके फल, फूल और पत्तियों से पोषण दिया जा सके. अभी फिलहाल कोविड-19 के संक्रमण के चलते आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं. लेकिन जैसे ही संक्रमण कम होगा और आगनबाड़ी केंद्र खुलेंगे तो कहीं ना कहीं कोरोना के संक्रमण से भी लड़ने में छोटे बच्चों को मदद मिलेगी. क्योंकि वर्तमान समय में कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का होना अत्यंत आवश्यक है. मोरिंगा के पत्तों में एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर पर उपलब्ध है मोरिंगा के पौधे
मोरिंगा औषधीय महत्व का पौधा है. इसका निरंतर सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जो वर्तमान समय में कोरोना महामारी से लड़ने में अत्यंत लाभकारी हो सकता है. मोरिंगा को किसी भी प्रकार की भूमि या घर के आस-पास किचन गार्डन में लगाया जा सकता है. मोरिंगा की पीकेएम एक किस्म रोपाई के 8 महीने बाद फलिया देने लगती है और इसकी फलियां देसी किस्म की तुलना में अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है. कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर में इसके पौधे उपलब्ध हैं और कोई भी इन्हें वहां से प्राप्त कर सकता है.
आमतौर पर मोरिंग को सहजन के नाम से भी जाना जाता है. मोरिंगा में कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉन्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. एक अध्ययन के अनुसार इनकी पत्तियों में संतरे से 7 गुना विटामिन, दूध से 3 गुना कैल्शियम, अंडे से 36 गुना मैग्नीशियम, पालक से 24 गुना आयरन, केले से 3 गुना अधिक पोटेशियम मिलता है. इसके फल का उपयोग सब्जी बनाने में होता है. सहजन पाचन से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर देता है.
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हैजा, दस्त, पेचिश, पीलिया और कोलाइटिस होने पर इसके पत्ते का ताजा रस, एक चम्मच शहद और नारियल पानी मिलाकर लें यह एक उत्कर्ष हर्बल दवाई है. सहजन के पत्ते का पाउडर कैंसर और दिल के रोगियों के लिए एक बेहतरीन दवा है. यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है. इसका प्रयोग पेट में अल्सर के इलाज के लिए किया जाता है. यह पेट की दिवार के अस्तर की मरम्मत करने में सक्षम है यह शरीर की ऊर्जा का स्तर बढ़ा देता है. कुपोषण पीड़ित लोगों के आहार के रूप में सहजन का प्रयोग करने की सलाह दी गई है.