उदयपुरवाटी (झुंझुनू).कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच झुंझुनू के छावसरी के लाल छत्रपाल सिंह शहीद हो गए. सोमवार सुबह जैसे ही यह खबर छत्रपाल सिंह के परिजनों को मिली, तो वे सुनते ही स्तब्ध हो गए. मात्र 22 वर्ष की उम्र में छत्रपाल सिंह ने देश के लिए शहादत दे दी.
शाम को लाया जाएगा पार्थिव शरीर
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में आतंकियों से लोहा लेते हुए छत्रपाल सिंह वीरगति को प्राप्त हुए. छत्रपाल सिंह की पार्थिव देह सेना की ओर से सलामी दिए जाने के बाद सोमवार शाम को उनके गांव छावसरी पहुंचेगी.
उम्र महज 22 साल
छत्रपाल केवल 22 साल के थे. वे 15 जून 2015 को ही सेना में भर्ती हुए थे. वे जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में आतंकियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए हैं. उनके साथ-साथ एक जेसीओ सहित पांच अन्य सेना के जवान भी शहीद हुए हैं.
छावसरी गांव के युवा बताते हैं कि विद्यालय में 10वीं पास करते ही छत्रपाल सिंह सेना भर्ती की तैयारी करने लगे थे. उनका देश सेवा का जुनून हमेशा से देखते ही बनता था. छत्रपाल सिंह के भाई सूर्यप्रकाश अपने आंसुओं को रोकते हुए बताते हैं कि जब वह 10 मार्च को छुट्टियां बिताकर वापस गया, तो जल्दी ही दोबारा वापस आने की बात कहकर निकला था.
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बचपन से ही था देश भक्ति का जज्बा
छत्रपाल के गांव के रहने वाले विजय ओला बताते हैं कि छत्रपाल के पिता हकीम का काम भी करते हैं. जिन्हें मेडिकल की पूरी जानकारी है. छत्रपाल की परिवार करी 35 सालों से यहां रहा है. छत्रपाल बचपन से ही बड़े होनहान थे. छत्रपाल में हमेशा ही स्कूल हो या कॉलेज अपनी एक अलग छाप छोड़ी थी. वे यहां से करीब 15 दिन पहले ही रहकर वापस लौटे थे. वे देशहित की बात बच्चों को भी सिखाया करते थे. देश के प्रति उनका जज्बा ही था कि आज वे शहीद हो गए.
सैनिक कल्याण अधिकारी बताया कि उन्हें छत्रपाल सिंह के शहीद होने की सूचना सोमवार को सुबह मिली है. इसके बाद जिला प्रशासन के माध्यम से शहीद के परिजनों को शहादत की सूचना दे दी गई है. जिसके बाद शहीद के घर पर लोगों का आना-जाना शुरू हो गया है.