झुंझुनू. पूरे देश में लॉकडाउन के चरण खत्म हो चुके हैं और अब अनलॉक शुरू हो गया है. राजस्थान में सबसे पहले झुंझुनू में 17 मार्च को कोरोना वायरस से तीन पॉजिटिव केस सामने आए थे. इसके साथ ही झुंझुनू में लॉकडाउन से पहले ही 18 मार्च को कर्फ्यू लग गया था. लॉकडाउन के चरणों में पहले भी कई छूट दी गई थी, लेकिन अब अनलॉक शुरू हो गया है, तो ऐसे में आपको बताते है कि झुंझुनू की स्थिति क्या है.
बता दें कि इटली का संक्रमित भी सबसे पहले झुंझुनू के मंडावा में आया था और इसी के साथ कहीं ना कहीं झुंझुनू को राजस्थान का गेटवे ऑफ कोरोना कहा गया था. तब से लेकर आज भी कोरोना के केस जिले में लगातार आ रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि संक्रमण के मामले में झुंझुनू अन्य जिलों से कहीं बेहतर स्थिति में है.
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कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के मामले में राजस्थान में झुंझुनू 18वें स्थान पर है. इसमें यह भी नहीं कहा जा सकता है कि यहां सैंपल नहीं लिए गए हैं क्योंकि अब तक 8967 सैंपल लिए जा चुके हैं. इस हिसाब से भी राजस्थान में सैंपल लेने में झुंझुनू 11वें स्थान पर है.
एक बार तो हो गया था कोरोना मुक्त
जिले में प्रवासी राजस्थानी और श्रमिकों के आने से पहले 42 केस आए थे और यह सभी नेगेटिव हो गए थे. जिसके बाद एक तरह से जिला पूरी तरह से कोरोना वायरस से मुक्त भी हो गया था. बाकी बाद में बड़ी संख्या में प्रवासी राजस्थानी और श्रमिकों का आना शुरू हो गया. जिसके बाद कोरोना के केस मिलने लगे है.
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जानकारी के अनुसार करीब 25 हजार से ज्यादा लोग बाहर से आए हैं. लेकिन इसके बावजूद अभी तक यहां पर कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाए जाने वालों का आंकड़ा 131 का ही है, इसको यहां के लोगों की इम्यूनिटी और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास ही कहा जा सकते हैं कि जिले में कोरोना अभी कुछ काबू में है.
अब है केवल 49 एक्टिव केस
वहीं अब तक की बात की जाए तो कुल 131 केस में से 82 लोग नेगेटिव हो चुके हैं और केवल 49 एक्टिव केस अभी जिले में है. मेडिकल कॉलेज नहीं होने के बावजूद झुंझुनू में भगवानदास खेतान जिला अस्पताल में पॉजिटिव मरीजों का इलाज हो रहा है और बिना मेडिकल कॉलेज के ही यहां पर पीसीआर लैब की स्थापना की जा चुकी है. जहां पर लगातार जांच भी हो रही हैं.
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अब तक हुई है केवल एक मौत
इसमें बड़ी बात यह है कि 17 मार्च के बाद भी लगातार केस जरूर आते रहे हैं, लेकिन 100 मरीज आने के बाद यहां पहली डेथ हुई है. मृतक मुंबई से लौटा हुआ प्रवासी था और उसे बचपन से ही मिर्गी के दौरे आते थे. हॉस्पिटल में भी वह भर्ती होने के करीब 24 घंटे बाद ही चल बसा, हालांकि जिला प्रशासन की ओर से उसे आते ही आइसोलेशन में ले लिया गया था, लेकिन देरी होने और पहले से ही बीमार होने की वजह से उसे बचाया नहीं जा सका. अभी जिला प्रशासन और झुंझुनू के लोग एक ही दुआ करते हैं कि किसी भी तरह से स्थितियां कम से कम ऐसे ही चलती रहे और लोग बीमार भी हो तो कम से कम ठीक होकर अपने घर लौट जाएं.