झुंझुनूं. शहर के स्कूलों और कॉलेजों में बेटी की पाठशाला के नाम से हफ्ते में 2 दिन एक कालांश शुरू किया जाएगा. इसमें उन्हें गुड टच-बैड टच, बस्ती और महावारी के प्रबंधन पर संवेदना, नैतिक शिक्षा, कानूनों की जानकारी दी जाएगी. वहीं इसमें छात्रों को नैतिक शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाएगा, जिसमें उन्हें बताया जाएगा कि किस तरह से छेड़छाड़ अपराध है और उससे किसी के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है. ऐसा प्रभाव उनके परिवार के किसी सदस्य पर पड़े तो उन्हें कैसा महसूस होगा.
झुंझुनूं में शुरू होगी 'बेटी की पाठशाला', बताया जाएगा गुड टच और बैड टच के बारे में
बेटों की सोच बदल गई तो बेटियां अपने आप ही सुरक्षित रहेंगी. छात्राओं के साथ आए दिन होने वाली छेड़खानी, उनके साथ होने वाले यौन अपराधों और खुद के ही परिवार और रिश्तेदारों के किए गए योन शोषण के खिलाफ झुंझुनूं में एक अभिनव प्रयोग किया जाने वाला है.
जिला कलेक्ट्री में आयोजित सखी वन स्टॉप सेंटर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ राज्य बालिका नीति तथा बाल विवाह निषेध आदि की जिला टास्क फोर्स की बैठक में यह निर्णय किया गया. इसमें तय किया गया कि बेटी की पाठशाला के लिए प्रति कालांश में से 2 मिनट कम किए जाएंगे. इस तरह से 8 पीरियड में से 16 मिनट इस बेटी की पाठशाला के लिए रखे जाएंगे. इससे स्कूलों में शिक्षण कार्य भी किसी तरह से प्रभावित नहीं होगा और उसके साथ बेटी की पाठशाला के लिए भी समय निकल जाएगा. स्कूलों के साथ ही प्राइवेट स्कूलों में भी यह अनिवार्य होगा.