झुंझनू. दुनिया भर में कोरोना के कहर के चलते हो रही लाखों मौतों के कारण मन में स्याह अंधेरा है तो प्रकृति यह संदेश भी दे रही है कि अंधकार के बाद उजाला भी आएगा. जी हां, धोरों की धरती राजस्थान में कई सालों के बाद इस वर्ष राज्य पुष्प रोहिडा के फूल इस समय पूरे परवान पर आकर खिले हुए हैं और धोरों की धरती इसकी खुशूब से महक रही है. पश्चिमी राजस्थान में आने वाली आंधियों का दौर भी शुरू हो गया है और ऐसे में रोहिडा के पुष्प की खुशबू पूरे वातावरण को महका रही है. यह भी तय है कि आंधियों के साथ रोहिडा के पुष्प इस धरती के सुदूर कई स्थानों तक जाकर गिरेंगे और वहां से बीज के साथ एक नवजीवन होगा, एक नए पौधे का प्रस्फुटन होगा.
पश्चिमी राजस्थान में रोही का मतलब होता है सुनसान जगह. इस रोही से इस पेड़ का नाम रोहिडा पडा होगा. लाख सुर्ख रंग के बड़े इस फूल को राज्य पुष्प होने का गौरव ही इसलिए हासिल है, कि इसकी भीनी-भीनी खुशबू पूरे वातावरण को सुगंधित कर देती है. मरूस्थल और सम मरूस्थल पट्टी में यह बहुतायत में होता है, लेकिन कई सालों से इस बार यह पूरा अपने रंग में खिला है. फाल्गुन के बाद जब हवाएं चलती हैं तो इसकी महक से धोरों की धरती अपने आपको आनन्दित महसूस करती है. इन पुष्पों का रंग गहरा केसरिया हीरमिच पीला होता है.
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