झालावाड़. कोरोना संक्रमण से पूरी दुनिया जूझ रही है. संक्रमण काल के दौरान बच्चे-बड़ों सभी के लिए टीवी और मोबाइल ही उनका एकमात्र सहारा रह गया था. जो बच्चे पहले शाम को घरों से बाहर मैदान में खेलने जाया करते थे या फिर किसी दूसरी एक्टिविटी में व्यस्त रहा करते थे, वे भी घर में ही कैद रहे. नतीजा यह रहा कि ज्यादातर समय उनका मोबाइल और टीवी के सहारे ही कटता था.
कोरोना के कारण स्कूल बंद हैं लेकिन ऑनलाइन क्लासेज चलाई जा रही हैं. ऐसे में जो पेरेंट्स बच्चों को मोबाइल से दूर रखते थे अब वे ही उन्हें मोबाइल और कम्प्यूटर पर एसाइनमेंट करा रहे हैं. इसका बुरा असर बच्चों की आंखों पर पड़ रहा है. आंखों में जलन, पानी गिरना, दर्द और आंखें कमजोर होने की शिकायत भी बच्चों में आ रही है.
झालावाड़ अस्पताल के नेत्र रोग की ओपीडी में कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के कारण रूटीन चेकअप बन्द किया गया है. उसके बावजूद आंखों की समस्या को लेकर रोज काफी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं. इनमें बच्चों की संख्या अधिक है. लॉकडाउन के बाद से पहले के मुकाबले अस्पताल में 4 से 5 फीसदी बच्चे अधिक आ रहे हैं.
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इसको लेकर हमने बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि थोड़ी देर भी मोबाइल देखने पर उनकी आंखों में आंसू आने लगते हैं और जलन भी होने लगती है. वहीं कई बच्चों ने बताया उनकी आंखों में सूजन आ जाती है तथा आंखें गरम होने के कारण सिर में दर्द भी होने लगता है. इसे लेकर झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के आई डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉ. आरके मीणा ने बताया कि कोरोना के दौर में लोगों को ज्यादातर काम घरों से ही मोबाइल और कम्प्यूटर के माध्यम से करना पड़ रहा है.
कम्प्यूटर के सामने बीत रहा पूरा दिन ऐसे में देर तक काम करने पर आंखों में परेशानी आना स्वाभाविक है. आंखों में दिक्कत इन दिनों सबसे ज्यादा बच्चों में देखने को मिल रही हैं. घर पर रहने के कारण बच्चे खेलने के लिए ऑनलाइन गेम्स पर डिपेंड हो गए. वे रोजाना मोबाइल और कम्प्यूटर पर ऑनलाइन गेम्स खेलते रहते हैं. इसके अलावा बच्चों को पढ़ाई भी ऑनलाइन करनी पड़ रही है. ऐसे में उनका काफी वक्त मोबाइल की स्क्रीन के सामने ही गुजरता है. इसका सीधा असर बच्चों की आंखों पर पड़ता है.
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ये हैं दुष्प्रभाव से बचने के तरीके
डॉ. मीणा ने बताया कि कोरोना के कारण हम ऑनलाइन कार्यों से बच भी नहीं सकते. ऑनलाइन काम करना हमारी जरूरतों में शामिल हो गया है. ऐसे में कुछ उपायों के माध्यम से हम इनके गंभीर दुष्प्रभावों से अपनी आंखों को बचा सकते हैं. उन्होंने बताया कि मोबाइल और लैपटॉप पर काम करते समय प्रत्येक 20 मिनट के बाद अपनी आंखों को आराम दें. इसके अलावा लैपटॉप को 120 डिग्री पर टील्ड करके रखें, ताकि स्क्रीन का सीधा रिफ्लेक्शन आंखो पर ना पड़े.
वहीं मोबाइल को भी आंखों के एकदम सामने ना रखें. थोड़ी दूरी बनाते हुए साइड से देखने या ऊपर और नीचे से देखने का प्रयास करें. मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल रात या अंधेरे में कम से कम करें या जब भी करें तो कमरे में पर्याप्त उजाला रखें ताकि उसकी लाइट अपनी आंखों के लिए कम हानिकारक हो.
ये है देशी नुस्खे
डॉ. मीणा ने बताया कि हमें भोजन में अधिक से अधिक हरी सब्जियों को प्रयोग करना चाहिए. साथ ही गाजर, मूली, पपीता एवं विटामिन ए देने वाली सीजनल चीजों का उपयोग अधिक से अधिक करें. उन्होंने बताया कि इनके उपयोग से हम आंखों के डैमेज को कम कर सकते हैं.