झालावाड़. जिले में खरीफ की फसलों का उत्पादन इस बार औसत से भी कम रहने की संभावना है. कृषि विभाग ने आशंका जताई है कि इस सीजन में कम बारिश, फसली रोगों और कोरोना के कारण किसानों पर तिहरी मार पड़ने वाली है. जिले में कृषि लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत है. यहां खरीफ में सोयाबीन, उड़द, मक्का और चावल की बुवाई की जाती है तो वहीं रबी के सीजन में गेहूं, चना, सरसों की बुवाई की जाती है.
झालावाड़ में खरीफ की फसल लगभग पूरी तरह से कट चुकी है. कृषि विभाग ने भी चिंता जताई है कि इस बार फसलों का उत्पादन औसत से भी कम रह सकता है. झालावाड़ में करीबन 3 लाख 28 हजार 18 एकड़ में खरीफ की सभी फसलों की बुवाई की गई थी. जिनमें 2 लाख 32 हजार 250 एकड़ में सोयाबीन, 5340 एकड़ में चावल, 42300 एकड़ में मक्का, 36286 एकड़ में उड़द और 4227 एकड़ में मूंगफली की बुवाई की गई थी.
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ये है मुख्य कारण..
राज्य में सबसे अधिक बारिश झालावाड़ में होती है. पिछले वर्ष जिले में करीब 1550 एमएम बारिश हुई थी. लेकिन इस सीजन में महज 700 एमएम बारिश हुई है. कृषि विभाग के उपनिदेशक कैलाश चंद मीणा के मुताबिक अल्प वर्षा के कारण खरीफ की फसलों के उत्पादन पर विपरीत असर पड़ा है. उन्होंने बताया कि खरीफ की फसलें मुख्यतः बारिश पर ही निर्भर होती हैं, बारिश की कमी के कारण फसलों में काफी नुकसान देखने को मिला है.