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खोखले सरकारी दावे: क्वॉरेंटाइन सेंटर में दो वक्त की रोटी को तरसता जालोर का यह परिवार

लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासियों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है. इसके साथ ही पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आए लोगों को भी क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. सरकार का दावा है कि इन क्वॉरेंटाइन सेंटरों में भोजन, पानी, बिजली, पेयजल सहित अन्य सभी सुविधाएं है. लेकिन जमीनी हकीकत में से सारे दावे खोखले नजर आ रहे हैं. पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट...

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क्वॉरेंटाइन सेंटर में इस परिवार को नहीं मिल रही सरकारी सुविधाएं

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Published : May 31, 2020, 5:44 PM IST

रानीवाड़ा (जालोर).वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है. देशभर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा दिनों दिन तेजी से बढ़ता जा रहा है. कोरोना पर काबू पाने के लिए सरकार भी प्रयासरत है. जिसके तहत कोरोना पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को प्रशासन की ओर से क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. सरकार और प्रशासनिक अधिकारी इस बात का दावा कर रहे हैं कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे गए लोगों को खाना-पानी सहित सभी प्रकार की आवश्यक जरूरत वस्तुएं उपलब्ध करवाई जा रही है. लेकिन जालोर के इस क्वॉरेंटाइन सेंटर में सभी सरकारी दावों की पोल खुलती हुई नजर आ रही है.

रोटी को तरसता जालोर का यह परिवार

यह मामला अदेपुरा गांव का है. यहां 22 मई को एक महिला की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी. जिसके बाद महिला के परिजनों को अदेपुरा गांव में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में क्वॉरेंटाइन किया गया था. विद्यालय में क्वॉरेंटाइन किये गए व्यक्तियों के लिए प्रशासन की ओर से अभी तक कोई खाने की व्यवस्था नहीं की गई. इस क्वॉरेंटाइन सेंटर में करीब 12 लोग रहते हैं. जो पड़ोसियों से खाना मांग कर पेट भर रहे हैं. पड़ोसी भी कोरोना संक्रमण के डर से उनको कई बार खाना देने से मना कर चुके हैं, लेकिन क्वॉरेंटाइन किए गए लोग पड़ोसियों के आगे खाने के लिए लाचार हो जाते है, तब जाकर उन्हें 2 निवाला खाने का मिल पाता है.

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सरकारी सुविधाओं से वंचित है यह परिवार

क्वॉरेंटाइन किए गए व्यक्ति नारायण लाल माली के मुताबिक सेंटर में किसी भी प्रकार की सरकार के द्वारा सुविधा नहीं मिल रही है. जब हमें यहां लाया गया तब से लेकर 2 दिन तक हम भूखे रहे. हम अगर गांव वालों को पैसे देकर खाना मांगते हैं तो भी कोई हमें 2 वक्त की रोटी देने को तैयार नहीं होता है.

भूख से तड़पने को मजबूर परिवार

बच्चों को भी रहना पड़ता है भूखा

माली ने बताया कि ग्रामीण बोलते हैं कि आपके परिवार में एक कोरोना पॉजिटिव मरीज है और आप उनके संपर्क में आए थे, इसीलिए हम आपको खाना नहीं देंगे. माली ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि क्वॉरेंटाइन किए गए सभी बच्चे भी 2 दिन तक भूखे थे. किसी ने उन्हें बिस्किट तक देने की जहमत नहीं उठाई. भगवान की शुक्र है कि एक पड़ोसी ने हमारे दर्द को समझा और अब वो हमें पैसे के बदले में कभी-कभी खाना दे जाता है. लेकिन उसे भी संक्रमण का खतरा बना रहता है.

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अब तक नहीं आई जांच रिपोर्ट

22 मई को पॉजिटिव महिला के परिजनों के करीब 12 व्यक्तियों के सैंपल जांच के लिए लिए गए थे. लेकिन करीब 8 दिनों होने के बाद अभी तक इनकी जांच रिपोर्ट नहीं आई है. समय पर सैंपल जांच रिपोर्ट नहीं आने के कारण यह लोग मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं.

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