जालोर. जिले के सबसे बड़े अस्पताल में सरकार की ओर से अटेंडरों के लिए एक करोड़ की लागत से धर्मशाला बनाई गई थी, जिस पर पीएमओ ने कब्जा करके अपना ऑफिस बनाना लिया है.जिसके चलते मरीजों और उनके साथ आने वाले अटेंडरों को ठिठुराती ठंडी रात में अस्पताल की चौखट पर ही रात बिताने को मजबूर है. बता दें, इस धर्मशाला का निर्माण कार्य 2013 में शुरू हुआ था, जो 2014 में पूरा हुआ.
एक करोड़ की लागत से बनी धर्मशाला में पीएमओ ने बनाया अपना ऑफिस कोई मरीज नहीं रुका तो धर्मशाला में ऑफिस बना दिया - पीएमओ
जिले के सबसे बड़े अस्पताल के अधिकारी पीएमओ एसपी शर्मा से ईटीवी भारत से सवाल किया तो उन्होंने कहना कि हमने दो साल धर्मशाला को संचालित किया था, लेकिन किसी मरीज या उनके साथ आये अटेंडर ने रुकना उचित नहीं समझा, रजिस्टर खाली रहता था. जिसके बाद बड़े भवन का उपयोग लेते हुए ऑफिस बना दिया गया.
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पीएमओ की मनमानी तिमारदारों पर भारी
जिला मुख्यालय पर करोड़ों की लागत से धर्मशाला का भवन बना हुआ है. जिला अस्पताल प्रशासन की ओर से उसका ऑफिस में उपयोग किया जा रहा है, जबकि यह भवन सिर्फ धर्मशाला के उपयोग के लिए ही रिजर्व किया था. जिसमें मरीज या उनके साथ आये परिजन रुक सकते है, लेकिन पीएमओ की हठधर्मिता के चलते अपना ऑफिस खोल कर उसमें आराम से अस्पताल का संचालन कर रहे हैं, जबकि अस्पताल के अंदर पीएमओ का अलग से ऑफिस बना हुआ है, लेकिन उस ऑफिस में ना बैठकर पीएमओ के की ओर से इस धर्मशाला में ही अपना ऑफिस बना दिया गया हैं. जिसके चलते आम गरीब लोग और रात में ठंडी हवाओं में बैठकर रात गुजारते हैं. परिजनों के साथ बच्चे भी इस सर्द हवा में अस्पताल परिसर में खुले आसमान के नीचे सोते हैं.
छोटे बच्चे भी आसमान तले सोते नजर आए
इस अस्पताल में बड़े लोगों के साथ ठिठुराती ठंड में छोटे मासूम बच्चे भी उनके परिजनों के साथ सोते नजर आए. उनको ठंड नहीं लगे उसके लिए उनके परिजन छोटे बच्चों को कंबल वगैर ओढ़ाते नजर आए, जबकि खुद सिकुड़ कर बैठे दिखे.