जालोर. कोरोना के चलते लगाया गया लॉकडाउन मुख्य सड़क मार्गों के किनारे होटल, ढाबों और फल का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए घातक साबित हुआ है. लॉकडाउन की अवधि में जिस प्रकार काम-धंधे चौपट हुए हैं, उसका असर अब नजर आने लग गया है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोग भी घरों से बाहर निकलना कम पसंद कर रहे हैं. जिसके कारण नेशनल हाइवे के किनारे होटल, ढाबा और फल बेचने का काम करने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं.
इन लोगों के सामने अपने परिवार के पालन पोषण का संकट खड़ा हो रहा है. इनके धंधे पर 70 से 80 प्रतिशत फर्क पड़ने के कारण ढाबों व होटलों में काम करने वाले युवाओं का बड़ी संख्या में रोजगार भी जा रहा है.
होटल व ढाबा व्यवसाय पूरा ठप
जिले के मुख्य सड़क मार्ग या नेशनल हाईवे के किनारे बड़ी संख्या में ढाबे या होटल संचालित होते हैं. जिसमें काफी संख्या में स्थानीय या बाहर के युवा जुड़े हुए हैं. जिनका रोजगार इन्हीं ढाबों पर निर्भर है. कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन के कारण ज्यादातर होटल और ढाबे बंद हो गए. जो ढाबे खुले हैं, वो भी अब बंद होने की स्थिति में हैं.
पढ़ें-Special : कोरोना काल में थमे पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पहिए...कमाई 'लॉक' और खर्चा 'अनलॉक'
ढाबा चलाने वाले लोगों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन 15 से 20 हजार की ग्राहकी होती थी, अब वो 2 से 3 हजार तक ही होती है. जब होटलों पर ग्राहक नहीं आने की स्थिति में स्टाफ को भी कम करना पड़ रहा है. जनपथ होटल के सुरेश ने बताया कि पहले दिनभर गाड़ियों की लाइन लगी हुई रहती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. पूरे दिन में 10 से 15 खाने लगते हैं. जिसके कारण सीधा नुकसान उठाना पड़ रहा है. होटल मालिकों को किराया और स्टाफ की सैलरी तक देना मुश्किल हो रहा है.
सैंकड़ों ढाबों पर लग गया ताला
जिले के विभिन्न सड़क मार्गों पर देखें तो कोरोना से पहले जितने होटल और ढाबे चल रहे थे. उसमें आधे से ज्यादा पर ताले लग गए हैं. लॉकडाउन के समय प्रशासन ने ढाबों को बंद करवाया था. उसके बाद अब कोरोना के डर या ग्राहकों की संख्या कम होने के कारण ढाबा मालिकों ने वापस ढाबे शुरू ही नहीं किए हैं. जिसके कारण इन ढाबों में काम करने वाले लोग बेरोजगार हो गए हैं.