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कुलधरा घूमने आए पर्यटक गांव में बने घरों को पहुंचा रहे नुकसान, लोगों में नाराजगी

धोरों की धरती जैसलमेर में इन दिनों बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. इस बीच यहां संरक्षित गांव कुलधरा को देखने पहुंच रहे कुछ पर्यटक यहां बने घरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसका एक वीडियो सामने आने के बाद लोगों में नाराजगी है. साथ ही इस मामले पर रेलवे एडीजी अनिल पालीवाल ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए घटना की निंदा की है.

कुलधरा
कुलधरा

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 4, 2024, 9:51 PM IST

कुलधरा में तोड़फोड़ का वीडियो सामने आने के बाद लोगों में नाराजगी है

जैसलमेर. कला संस्कृति और धोरो की धरती जैसलमेर में इन दिनों पर्यटन सीजन पीक पर है. यहां की विरासत को निहारने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. जैसलमेर आने वाले पर्यटक कुलधरा गांव में भी पहुंच रहे हैं. इस बीच कुछ पर्यटक कुलधरा में बने घरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसा ही एक वीडियो हाल ही में सामने आने के बाद रेलवे के एडीजी अनिल पालीवाल व पालीवाल समाज के लोगों ने नाराजगी जताई है. साथ ही कुलधरा के संरक्षित गांवों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

इस गांव का रख-रखाव आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से किया जाता है. दशकों से संरक्षित इस गांव का महत्व और ऐतिहासिकता हर किसी को आकर्षित करती है. सरकार की ओर से कुलधरा गांव के संरक्षण के लिए चल रहे प्रयासों के बीच यहां बने घरों को नुकसान पहुंचाने वाले वीडियो सामने आने के बाद स्वर्णनगरी में चिंता का विषय बना हुआ है. वीडियो वायरल होने के बाद आमजन व विशेषकर पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग तथा यहां के इतिहासकार ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. वहीं, इस मामले में जैसलमेर में मौजूद पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के कर्मचारी ताराचन्द सेवक ने बताया कि वीडियो की जानकारी मिली है. इसको लेकर उच्चाधिकारियों को सूचित कर दिया गया है, वीडियो की जांच की जा रही है.

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रेलवे के एडीजी अनिल पालीवाल ने की निंदा : इस मामले को लेकर राजस्थान रेलवे के एडीजी अनिल पालीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए सामने आए वीडियो की निंदा की है. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि "दीवार तोड़ने वाले इन शख्स को इस बात से भी अवगत कराना चाहूंगा, यह दीवारें, बावड़ी, तालाब, गाय और गरीब के लिए प्राण त्यागने वाले वीरों के स्मारक, यज्ञ स्तंभ आदि जो पूरे जैसलमेर जिले या थार में रेगिस्तान में मौजूद हैं. यहां के निवासियों के शताब्दियों के संघर्ष और जिजीविषा के प्रमाण हैं, शताब्दियों पहले जब यहां पर पीने के पानी, पशुओं के चारे, भोजन हर चीज के लिए संघर्ष था तब इन सब चीजों का निर्माण हुआ था. देश के किसी भी भाग में या विश्व में भी हर जगह जहां भी ऐसे चिह्न मौजूद हों उनका सम्मान, संरक्षण करना एक मानव के रूप में हमारा कर्तव्य है, चाहे तालिबान ने जो बुद्ध स्मारकों को विध्वंस किया या श्री सोमनाथ का मंदिर तोड़ा व लूटा गया यह सभी बातें कालखंड में दर्ज हैं, और ऐसे गलत कार्य करने वालों को इतिहास कभी माफ नहीं करता. आज श्री सोमनाथ का मंदिर भव्य रूप में विद्यमान है और जन-जन की आस्था का केंद्र है. ईश्वर से प्रार्थना है ऐसे गलत कृत्य करने वाले व्यक्तियों को सद्बुद्धि दें, बाकी कानून तो अपना काम करता ही है."

पालावील समाज ने जताई नाराजगी : राजस्थान पालीवाल समाज के उपाध्यक्ष ऋषिदत्त पालीवाल ने इस घटना की निंदा की है. उन्होंने कहा कि यह विश्व विख्यात पर्यटन स्थल कुलधरा गांव पुरातत्व विभाग की संपत्ति है. इस प्रकार यहां की ऐतिहासिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी तो हर पर्यटक ऐसी हरकत करेगा. इसलिए ऐसे लोगों के खिलाफ जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.

यह है कुलधरा गांव का इतिहास : इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा बताते हैं कि कुलधरा गांव पिछले कई सालों से शापित हो रखा है. इस गांव में पिछले कई सालों से कोई बसेरा नहीं हुआ है. गांव के आसपास के लोगों का कहना है कि यहां पर कोई भूल कर भी जाने की कोशिश नहीं करता. आज ये पूरी जगह बंजर और वीरान हो चुकी है. यहां के खंडहर आज भी उस घटना की गवाही दे रहे हैं, जिसने इस सुंदर गांव को एक वीराने में तब्दील कर दिया. कुलधरा गांव आज जिस हालात में है, वैसा पहले कभी नहीं था. ये गांव पहले काफी सुंदर हुआ करता था.

इस वजह से रातों रात गांव छोड़कर चले गए लोग : इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा ने बताया कि माना जाता है कि उस दौरान यहां के प्रधानमंत्री सालिम सिंह थे, जिनकी बुरी नजर इस गांव के मुखिया की बेटी पर पड़ गई. वो उस लड़की से जबरन शादी करना चाहते थे. उन्होंने गांव वालों से साफ कह दिया था कि अगर कोई उस लड़की को बचाने के लिए बीच में आया या उसे छुपाने की कोशिश की तो उन सबकी जान ले ली जाएगी. बस इसी डर से उस गांव और आसपास के 85 गांवों ने एक सभा बुलाई और एक रात अचानक यहां से चले गए.

गांव में जाने से डरते हैं लोग : गांव छोड़ते वक्त उन्होंने इस जगह को श्राप दिया कि ये गांव कभी दोबारा नहीं बस पाएगा और कोई दूसरा व्यक्ति वहां नहीं रह पाएगा. इसके बाद से आज तक इस गांव में कोई नहीं रह पाया. यह गांव दशकों से खंडहर ही बना हुआ है. यहां दिन हो या रात हो, एक अजीब सी बेचैनी और डर महसूस होने का लोगों ने दावा किया है. एक मान्यता यह भी है कि सालिम सिंह ने गांव पर टैक्स इतना ज्यादा लगा दिया था कि लोग उसे चुका नहीं पाते थे और दूसरी जगह चले गए. अब इस गांव का रख-रखाव आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से किया जाता है.

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