जैसलमेर. संयुक्त राष्ट्र संघ जनसंख्या कोष (UNFPA) की केस स्टडी में इस तथ्य को स्वीकार किया गया है कि भौगोलिक विषमताओं और ढेरों चुनौतियों से भरे जैसलमेर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं खासकर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि से हाल ही में हुए प्रयासों से जो उपलब्धियां सामने आई हैं, वे प्रशंसनीय हैं.
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'सार्थक गतिविधियों से आया खासा बदलाव'
संयुक्त राष्ट्र संघ जनसंख्या कोष की ओर से शुक्रवार 21 मई को प्रकाशित 12 पृष्ठीय केस स्टडी में कहा गया है कि यूएनएफपीए द्वारा जैसलमेर जिला प्रशासन और राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की साझेदारी में जैसलमेर जिले की महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए सार्थक गतिविधियां क्रियान्वित की गई हैं. इनके बेहतर परिणाम सामने आए हैं.
चुनौतियों के बावजूद अच्छी सफलता
केस स्टडी में कहा गया है कि महिलाओं की स्वास्थ्य रक्षा के क्षेत्र में जबरदस्त चुनौतियों, मानव संसाधन की कमी और कोविड जैसी वैश्विक महामारी के संक्रमण दौर के बावजूद जैसलमेर जिले में जिला कलक्टर आशीष मोदी ने संकल्पबद्ध होकर इन सेवाओं को सुधारने का काम किया. उन्होंने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए जो कार्य किया है, उसी का परिणाम है कि जिले ने इस दिशा में कई ऊंचाइयां हासिल कर सराहना पाई है.
व्यापक कार्ययोजना से आया बदलाव
केस स्टडी के अनुसार जिले में गहन विश्लेषण और विशेषज्ञों के मंथन के बाद इन कदमों से बदलाव आया.
⦁ स्वास्थ्य संस्थाओं की मैपिंग, मानव संसाधन विस्तार, स्वास्थ्य संस्थाओं की पहचान
⦁ मातृ एवं नवजात शिशुओं से संबंधित स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का क्षमता अभिवर्धन
⦁ बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए संसाधनों को जुटाने, सेवाओं से जुड़े व्यक्तियों एवं कार्यों को प्रोत्साहन
⦁ होम डिलेवरी और गुणवत्तायुक्त परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच में सुधार
⦁ इन मुद्दों पर समुदाय की सशक्त भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ ही तेज गति से काम करने की कार्यशैली का विकास और लगातार मॉनिटरिंग
⦁ इन सभी का ही परिणाम रहा कि इतने कम समय में यह सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है.
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विषम परिस्थितियों में भी बेहतर काम
केस स्टडी में घर में ही डिलेवरी, बाल विवाह की अधिकता, विषम लिंगानुपात, मानव संसाधन की भारी कमी का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इन विषम हालातों को देखते हुए जिला कलक्टर आशीष मोदी ने स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी में गहरी दिलचस्पी ली. क्षेत्र के दौरे और फीडबेक के आधार पर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और बेहतरी पर सबसे ज्यादा फोकस किया. इसके बाद इन सेवाओं के लिए मानव संसाधन और चिकित्सकीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही संस्थागत प्रसव पर जोर दिया गया. विस्तृत कार्ययोजना बनाकर इस पर अमल किया गया. इसकी समय-समय पर मॉनिटरिंग की गई. खुद जिला कलक्टर ने जिले के भ्रमण के दौरान प्रसूताओं के घर पहुंच कर जानकारी ली.
चुनौतियों से हार नहीं मानी
केस स्टडी में महिला स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवाएं दे रहे डॉक्टरों, एएनएम और चिकित्सा एवं स्वास्थ्यकर्मियों की सेवाओं पर भी अध्ययन किया गया. जिसमें सामने आया कि इन सभी के सामने बहुत सारी चुनौतियां थीं. लेकिन इन्होंने पूरी निष्ठा और लगन से काम करते हुए बदलाव ला दिया. लड़कियों और महिलाओं की राय भी जानी गई
संस्थागत प्रसव की तरफ बढ़ा रुझान
केस स्टडी के अनुसार जिले में अब संस्थागत प्रसव की तरफ रुझान बढ़ा है. महिलाएं संस्थागत प्रसव का विकल्प चुन रही हैं, क्योंकि इसमें मातृ मृत्यु शून्य होने के साथ ही प्रसवपूर्व देखभाल से लेकर प्रसवोत्तर देखभाल की बेहतर व्यवस्था है. इसके साथ ही परिवार नियोजन के विभिन्न साधनों को अपनाने के प्रति भी सकारात्मक माहौल बना है.
अब और ज्यादा काम होगा
इस केस स्टडी में जिले में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी से आए परिणामों पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा गया है कि यूएनएफपीए इस दिशा में शासन-प्रशासन की साझेदारी में और अधिक भागीदारी का निर्वाह करेगा.
कलेक्टर ने दी टीम को बधाई
जिला कलक्टर आशीष मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ जनसंख्या कोष द्वारा जारी इस केस स्टडी को लेकर टीम जैसलमेर को बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि इस दिशा में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभागीय अधिकारियों, डॉक्टरों, एएनएम और विभागीय कार्मिकों के साथ ही जिला समन्वयक परमसुख सैनी के समन्वित प्रयासों का ही परिणाम है कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को अन्तर्राष्ट्रीय संस्था के स्तर पर सराहना मिली है.
जैसलमेर के विकास पर फोकस
जिला कलक्टर ने इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को और अधिक तेजी और व्यापकता प्रदान करने का आह्वान करते हुए जैसलमेर को इस मायने में आदर्श जिले की पहचान दिलाने पर जोर दिया है. उन्होंने यह भी कहा है कि उनका यही प्रयास है कि अपना जैसलमेर हर तरह के विकास और प्रगति की दिशा में अग्रणी पहचान बनाए.