जयपुर. कोरोना के फैसले संक्रमण के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है. लोग घरों में कैद हैं ऐसे में बिजली की खपत भी काफी बढ़ गई है. कुछ राज्यों की सरकारों ने लोगों को राहत देते हुए बिजली के बिल जमा कराने पर एक से दो माह की छूट भी दी है.
सीए अर्पित मित्तल से ईटीवी भारत की खास बातचीत लॉकडाउन में घरों से बाहर निकलने पर रोक है, जिसके चलते ज्यादातर लोग बिजली के बिल जमा नहीं करा पा रहे हैं. ऐसे में बिजली कंपनियों के सामने आर्थिक संकट गहरा गया है.
सरकार ने इस समस्या को समझते हुए बिजली कंपनियों को आर्थिक संबल प्रदान करने के उद्देश्य से 90,000 करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है.
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बुधवार को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि लॉकडाउन में बिजली कंपनियों के सामने गंभीर समस्या पैदा हो गई है. इस बारे में ईटीवी भारत ने सीए अर्पित मित्तल से बात की और जाना की सरकार द्वारा इस राहत पैकेज से बिजली कंपनियों को कितना फायदा होगा.
अर्पित मित्तल ने कहा कि जो फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं उनसे केवल एक्चुअल रीडिंग के आधार पर ही पैसा लिया जाए. पूरा बिजली का बिल माफ करना सरकार के लिए संभव नहीं है.
इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार देश के नाम संबोधन में आर्थिक हालात को सुधारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी. पीएम द्वारा घोषित पैकेज भारत की GDP का लगभग 10 प्रतिशत है. इस राहत पैकेज को अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी बूटी माना जा रहा है.