जयपुर. अनलॉक 3.0 में भी स्कूल-कॉलेज और शिक्षण संस्थानों को बंद रखा गया है. शहरों में तो बच्चों की ऑनलाइल क्लासेज शुरू हो गई है लेकिन गांवों में स्कूल पूरी तरह से बंद हैं. ऐसे में वे स्कूली शिक्षा तो नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं लेकिन खेती और पशुपालन के गुर जरूर सीख रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे घर और खेतों पर माता-पिता के काम में हाथ बंटा रहे हैं. कुछ पारंपरिक खेती का हुनर सीख रहे हैं तो कुछ पशुपालन कर रहे हैं.
लॉकडाउन में ग्रामीण इलाकों के बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित है. ऐसे में स्कूलों से उनका नाता भले ही टूट गया है लेकिन घरेलू कामकाज, कृषि व पशुपालन संबंधी कार्यों के प्रति उनका रुझान बढ़ा है. खेतों में फसलों की कटाई, बुवाई और सिंचाई के काम इन दिनों बच्चे माता-पिता से सीख रहे हैं.
पशुओं और खेतों की करते हैं देखभाल
कक्षा 4 में पढ़ने वाला रवि इन दिनों खेती-बाड़ी में अपनी मां की मदद कर रहा है. सुबह ही मां के साथ वह खेतों में चला जाता है फसलों की बुवाई में उनका हाथ बंटाता है. कक्षा 8 में पढ़ने वाला रिंकू घर की भेड़ बकरियों को चराने ले जाता है. वहीं कक्षा 8 की छात्रा योगिता कपड़े धोने और खाना पकाने में मां का हाथ बंटाती है. इस साल कक्षा 10वीं की परीक्षा देकर उत्तीर्ण हुआ सूरज गाय-भैंसों को चारा डालने के साथ खेतों में भी पिता के कामकाज में हाथ बंटाता है.
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