जयपुर. प्रारंभिक परीक्षा पास कर चुके आरएएस अभ्यर्थियों ने मुख्य परीक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है. अभ्यर्थियों ने पूर्व में हुई आरएएस भर्ती का हवाला देते हुए कहा है कि पहली बार मुख्य परीक्षा के लिए महज 3 महीने का समय दिया गया है. इतने कम समय में रिवीजन पूरा नहीं हो पाने के चलते अभ्यर्थी 3 महीने का समय और मांग रहे हैं.परीक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ भी किया. वहीं, मांग नहीं माने जाने की स्थिति में उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी.
राजस्थान प्रशासनिक सेवा भर्ती की मुख्य परीक्षा की तैयारी को लेकर अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट के बाद अब तक न्यूनतम 5 महीने का समय मिलता रहा है. 2012 में प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के बीच में करीब 11 महीने, 2013 में 5 महीने, 2016 में 7 महीने, 2018 में 11 महीने और 2021 में 5 महीने का समय मिला, लेकिन इस बार आरपीएससी की ओर से महज 3 महीने बाद ही मुख्य परीक्षा कराई जा रही है, जिससे अभ्यर्थियों का एक बड़ा खेमा खफा है और आरपीएससी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अभ्यर्थी अपनी गुहार नई बीजेपी सरकार से लगा रहे हैं.
नए अभ्यर्थी नहीं हो पाते सफल : उन्होंने कहा कि यदि यूपीएससी की तर्ज पर पूर्व में शेड्यूल जारी किया जाए तो अभ्यर्थी उसके अनुसार तैयारी कर सकते हैं, लेकिन यहां प्रारंभिक परीक्षा के करीब 12 दिन बाद मुख्य परीक्षा की तारीख जारी कर दी गई. ऐसे में अब तैयारी का काफी कम समय बचा है. उन्होंने तर्क दिया कि आरएएस भर्ती परीक्षा हर 3 साल में एक बार होती है और अधिकतर पुराने अभ्यर्थियों को मौका मिल जाता है. यदि मुख्य परीक्षा की तैयारी का पूरा समय मिलेगा तो नए अभ्यर्थियों का भी चयन होगा. अभ्यर्थियों ने बताया कि बीजेपी विधायकों ने उनकी मांग को जायज बताते हुए समर्थन पत्र दिया है. यही नहीं इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन दिया हैं. सोशल मीडिया पर भी ऑल इंडिया ट्रेड किया गया. यही नहीं, अभ्यर्थी सड़क पर भी उतरे, लेकिन अब तक स्थगन के आदेश जारी नहीं हुए हैं.
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RU में आज होगा सामूहिक पाठ : उन्होंने कहा कि राजस्थान के युवा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को बदलकर बीजेपी को सत्ता में लाए हैं. नई सरकार से यही अपेक्षा है कि वो युवाओं की गुहार को सुनेगी. जल्द ही सरकार कोई फैसला नहीं लेती है तो आंदोलन को तेज भी किया जाएगा. इस क्रम में 30 दिसंबर को विश्वविद्यालय कैंपस के बाहर हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया जाएगा और फिर भी सरकार नहीं सुनती तो फिर उग्र आंदोलन किया जाएगा. जरूरत पड़ी तो अभ्यर्थी भूख हड़ताल पर भी बैठेंगे.