जयपुर. प्रदेश में चुनाव नजदीक आने के साथ ही राजस्थान के कर्मचारियों ने एक बार फिर सरकार को आंख दिखाना शुरू कर दिया है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत ने अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर अपनी आवाज बुलंद की है. महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कांग्रेस के जन घोषणा पत्र - 2018 की याद दिलाते हुए कहा कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में राज्य कर्मचारियों से वेतन विसंगतियों को दूर करने का वादा किया था. लेकिन साढ़े चार साल के बाद भी सरकार ने अभी तक कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर नहीं किया है. उन्होंने कहा कि चुनावी साल सरकार अपने वायदे को पूरा करें नहीx तो ये वही कर्मचारी हैं जिहोंने पहले भी कई सरकारों के राज बदले हैं.
कमेटियों की रिपोर्ट सार्वजनिक हो :राठौड़ ने कहा कि कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए 3 नवंबर 2017 को डीसी सामंत की अध्यक्षता में वेतन विसंगति निवारण समिति का गठन हुआ था, जिसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को 5 अगस्त 2019 को सौंपी गई है. कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की आवश्यकता थी, वहीं सरकार ने 5 अगस्त 2021 को खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में वेतन विसंगति परीक्षण समिति के नाम से एक और कमेटी का गठन कर दिया. खेमराज कमेटी ने भी सभी संगठनों की सुनवाई के बाद अपनी रिपोर्ट दिसंबर 2022 में राज्य सरकार को सौंप दी है. अब दोनों कमेटियों की रिपोर्ट राज्य सरकार के पास में है, लेकिन फिर भी इन रिपोर्टों को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है. इससे कर्मचारियों में काफी आक्रोश है, राठौड़ ने मुख्यमंत्री से वेतन विसंगतियों की रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक करने की मांग की है.
मांगे आज भी है अधूरी :राठौड़ ने कहा कि 21 सूत्री मांग पत्र पर 27 और 28 फरवरी 2023 को प्रमुख शासन सचिव, कार्मिक विभाग के साथ वित्त विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में महासंघ के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी. जिसमें वित्तीय मांगों को मुख्यमंत्री पर छोड़ने और अन्य मांगों के शीघ्र निराकरण कराने पर सहमति बनी थी. वार्ता के दौरान आश्वस्त किया गया था कि कर्मचारियों की लंबित मांग पत्रों पर शीघ्र ही विभागीय स्तर पर संबंधित संगठनों के साथ बैठक कर कर निस्तारण किया जाएगा. लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते किसी भी मांग का निराकरण नहीं हुआ है.
गुस्से में कर्मचारी ! विधानसभा चुनाव से पहले फिर कर्मचारियों ने दिखाई आंख, कहा खेमराज कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करे सरकार - महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत ने अपनी मांगे उठाई है. महासंघ ने मंगलवार को बयान जारी कर मुख्यमंत्री से कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए राज्य सरकार के परीक्षणाधीन सामंत कमेटी और खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने सहित लंबित मांगों के शीघ्र निराकरण की मांग की है.
महासंघ की प्रमुख मांगों में-
(1) वेतन विसंगतियों के लिए गठित खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक किया जाए.
(2) चयनित वेतनमान एसीपी का परिलाभ 9, 18 व 27 वर्ष के स्थान पर 8, 16, 24 व 32 वर्ष पर पदोन्नति पद के समान दिया जाए.
(3) संविदा कर्मियों एवं यू.टी.बी सहित अन्य सभी अस्थाई कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति प्रदान की जाए.
(4) तृतीय श्रेणी अध्यापकों की स्थानांतरण खोले जाए.
(5) अर्जित अवकाश की सीमा 300 दिवस से बढ़ाकर सेवानिवृत्ति तक जोड़ने के आदेश जारी किए जाए.
(6) मंत्रालयिक एवं अधीनस्थ संवर्ग को पूर्व की भांति स्टेशनरी भत्ता स्वीकृत किया जाए.
(7) अधीनस्थ मंत्रालयिक संवर्ग को सचिवालय कर्मियों के समान पदोन्नति एवं वेतन भत्ते दिए जावे तथा द्वितीय पदोन्नति ग्रेड पे 4200 पर सुनिश्चित की जाए.
(8) निविदा एवं संविदा पर लगे कार्मिकों का न्यूनतम पारिश्रमिक ₹18000 तय किया जावे तथा बजट घोषणा 2023 के अनुसार ठेका प्रथा को समाप्त कर राज्य के सभी निविदा/ ठेका एवं प्लेसमेंट एजेंसियों के मार्फत लगे कार्मिकों को आर एल एस डी सी के माध्यम से सीधे वेतन देने के आदेश प्रदान किए जाए.
(9) एमटीएस का पद सृजित कर सहायक कर्मचारियों को उसमें समायोजित किया जावे तथा इनका प्रारंभिक वेतन ₹18000 निर्धारित किया जाए.
(10) सत्र 2009-10 से पातेय वेतन (ऐडहाॅक प्रमोशन) पर पदस्थापित वरिष्ठ अध्यापक एवं प्रधानाध्यापक ग्रेड सेकंड को ऐडहाॅक प्रमोशन की दिनांक से नियमित पदोन्नति सुनिश्चित की जाए.
(11) राजस्थान परिवहन निगम को सरकार के विभाग के रूप में समाहित किया जाए.
(12) पेंशनरों को पेंशन वृद्धि का लाभ क्रमशः 65, 70,75 व 80 वर्ष पर 5 - 5% पेंशन वृद्धि के आदेश प्रसारित किये जावे.