जयपुर.साल 2017 में प्रदेश व्यापी डॉक्टर्स 11 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे थे. हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को सरकार ने गिरफ्तार करवा दिया था. डॉक्टर्स इस गिरफ्तारी को राज्य मानवाधिकार आयोग ने गलत माना है. आयोग ने डॉक्टर कप्तान सिंह के परिवाद पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार की ओर से डॉक्टर्स को गिरफ्तार करना गलत था, जिन डॉक्टर्स को गिरफ्तार किया गया था, वे राजकीय सेवा में थे.
मानवाधिकार आयोग ने सरकार पर लगाया 9 लाख का हर्जाना वहीं डॉक्टर्स को पुलिस ने हिरासत में लेते समय कोई प्रतिरोध तक नहीं किया. ऐसे डॉक्टर को रात को 11और 12 बजे गिरफ्तार करना. साथ ही गिरफ्तारी जमानत पर नहीं किए जाने हेतु असंभव शर्तों का जमानत आदेश पारित करना. साथ ही उनके कार्यों के पश्चात डॉक्टर गिरफ्तारी के आधार पर निलंबित करना राज्य सरकार की दुर्भावना का प्रमाण है.
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यह सब देखने के बाद आयोग ने तीनों डॉक्टर्स को 1 लाख प्रतिदिन अर्थात 3 लाख रुपए प्रति डॉक्टर. तीनों डॉक्टरों की मिलाकर कुल 9 लाख राज्य सरकार हर्जाना दिए जाने की अनुशंसा की है. डॉक्टर को दिलवाई जाने वाली उक्त हर्जाना राशि राज्य सरकार पर आरोपित की गई है. इस राशि का भुगतान राज्य सरकार करेगी. यह भुगतान सरकार की ओर से किए जाने वाली किसी भी विभागीय कार्रवाई पर निर्भर नहीं रहेगा. हर्जाना राशि फिलहाल मात्र मानवाधिकार हनन के कारण प्रतीकात्मक मात्र है. जो न तो डॉक्टर से मानहानि के लिए दिलाई जा रही है. न ही इन डॉक्टर्स की जो वास्तविक हानि हुई है. अगर डॉक्टर चाहे तो मानहानि के विधि अनुसार कार्रवाई करने हेतु स्वतंत्र हैं.