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लॉक नहीं बदलाने की बात कह किया क्लेम से इनकार, अब देनी होगी 60 हजार रुपए हर्जाने सहित बीमा की राशि - हर्जाने सहित बीमा की राशि

जयपुर जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय ने कार की चाबी गुम होने के बाद उसका लॉक नहीं बदलाने की बात कहकर चोरी हुई कार का क्लेम अदा नहीं करने को गलत माना है. अब कंपनी को 60 हजार रुपए हर्जाने सहित बीमा की राशि भी देनी होगी. यहां जानिए पूरा मामला...

जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय
जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 30, 2023, 1:24 PM IST

जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय ने कार की चाबी गुम होने के बाद उसका लॉक नहीं बदलाने की बात कहकर चोरी हुई कार का क्लेम अदा नहीं करने को गलत माना है. इसके साथ ही आयोग ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी पर 60 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग ने कहा कि हर्जाना राशि के साथ ही बीमा क्लेम की चार लाख 90 हजार रुपए की राशि भी परिवाद पेश करने की तिथि से 9 फीसदी ब्याज सहित अदा की जाए. आयोग अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना और सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश हनुमान सहाय शर्मा के परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि उसने सीताराम शर्मा से मारुति कार खरीदी थी और वाहन अपने नाम करवा कर विपक्षी बीमा कंपनी से उसका बीमा कराया था. यह बीमा 14 अप्रैल 2015 से 13 अप्रैल 2016 तक वैध था. परिवादी ने 13 अगस्त, 2015 को इस वाहन की सर्विस स्टेशन पर सर्विस कराई थी. इस सर्विस स्टेशन पर कार की चाबी गुम हो गई. इस पर परिवादी घर से दूसरी चाबी मंगाकर वाहन अपने घर ले गया. परिवाद में कहा गया कि इसके कुछ दिनों बाद 24 अगस्त को शादी-समारोह स्थल के बाहर से यह कार चोरी हो गई, जिसकी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद बीमा कंपनी को भी सूचना दी गई.

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वहीं, बाद में गाड़ी नहीं मिलने पर पुलिस ने अदालत में एफआर पेश कर दी, जिसकी प्रमाणित प्रति लेकर परिवादी ने क्लेम के लिए बीमा कंपनी से संपर्क किया. वहीं, बीमा कंपनी ने उसका क्लेम यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि वाहन की चाबी खोने के बाद उसने वाहन का लॉक सेट चेंज नहीं कराया. परिवाद में कहा गया कि बीमा कंपनी का यह कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है. वहीं, बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि कहा गया कि परिवादी ने एक चाबी खोने की सूचना पुलिस को नहीं दी.

ऐसे में बीमा कंपनी क्लेम राशि का 50 फीसदी रकम का ही भुगतान करती है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आयोग ने बीमा कंपनी को क्लेम राशि चार लाख नब्बे हजार रुपए के साथ ही 60 हजार रुपए बतौर हर्जाने के तौर पर परिवादी को अदा करने को कहा है.

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