जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में निजी चिकित्सकों की हड़ताल के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वकीलों की खिंचाई की है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ ने कहा कि चिकित्सकों की हड़ताल को गलत बताने वाले वकील किस नैतिकता से पैरवी कर रहे हैं. ये वो ही वकील हैं, जो एक सप्ताह पहले ही एक माह के न्यायिक बहिष्कार के बाद अदालतों में लौटे हैं.
अदालत ने कहा कि वकीलों को किसी भी हड़ताल के खिलाफ पैरवी नहीं करनी चाहिए. क्योंकि वे खुद न्यायिक बहिष्कार के नाम पर हड़ताल पर चले जाते हैं. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व राजस्थान मेडिकल कौंसिल सहित चिकित्सकों की एसोसिएशन से 11 अप्रैल तक जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने महाधिवक्ता को यह भी बताने को कहा है कि राज्य सरकार और चिकित्सकों के बीच हुई वार्ताओं का ब्यौरा भी पेश किया जाए. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ ने यह आदेश प्रमोद सिंह व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
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