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सदस्यता अभियान से पूर्व सीएम राजे और पूर्व केंद्रीय मंत्री राठौड़ हुए दूर!

6 महीने पहले तक जो नेता प्रदेश भाजपा के हर संगठनात्मक कार्यों में अग्रिम पंक्ति में नजर आते थे, अब वह पार्टी के मुख्य अभियानों से भी दूर नजर आ रहे हैं. भाजपा के सदस्यता अभियान में कुछ ऐसी ही स्थिति पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की है. सदस्यता अभियान के लिए शुरू हुए नेताओं के प्रवास कार्यक्रम में इन दोनों ही नेताओं को कोई जिम्मेदारी नहीं मिली है.

पूर्व सीएम राजे और पूर्व केंद्रीय मंत्री राठौड़ सदस्यता अभियान से दूर

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Published : Jul 13, 2019, 12:00 AM IST

जयपुर. भाजपा के संगठन महापर्व के दौरान शुरू हुए पार्टी के सदस्यता अभियान में प्रदेश के दो प्रमुख नेता इन दिनों दूर है. खास तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जो अब तक प्रदेश भाजपा संगठन के लगभग हर महत्वपूर्ण अभियान में सबसे अहम भूमिका निभाती थी, वह अब सदस्यता अभियान से पूरी तरह गायब है. सदस्यता अभियान के शुभारंभ से लेकर नेताओं के प्रवास कार्यक्रम तक में वसुंधरा राजे पूरी तरह दूर हैं.

पूर्व सीएम राजे और पूर्व केंद्रीय मंत्री राठौड़ सदस्यता अभियान से दूर

वहीं अभियान की शुरुआत में नजर आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को अब अभियान के प्रवास कार्यक्रमों से दूर रखा गया है. बताया जा रहा है पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी निजी विदेश यात्रा पर हैं. इसके चलते सदस्यता अभियान के शुभारंभ में भी वह शामिल नहीं हुई थीं. जबकि पार्टी की ओर से जारी वरिष्ठ नेताओं के प्रवास कार्यक्रम में भी राजे का नाम गायब कर दिया गया.

नेताओं के प्रवास कार्यक्रम से पूर्व केंद्रीय मंत्री और जयपुर ग्रामीण से भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी दूर ही दिख रहे हैं. यह स्थिति तब है, जब प्रवास कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री सीआर चौधरी को भी अजमेर शहर और जोधपुर देहात जिले की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं राज्यसभा सांसद नारायण पंचारिया और रामकुमार वर्मा सहित केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और गजेंद्र सिंह शेखावत व कैलाश चौधरी को भी किसी ना किसी जिले में प्रवास की जिम्मेदारी दी गई है.

भाजपा नेताओं के बीच वसुंधरा राजे और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की पार्टी संगठनात्मक कार्यों से यही दूरी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. हालांकि इन नेताओं की व्यस्तता इसका प्रमुख कारण है या पार्टी की अनदेखी के चलते ये नेता अभियान से दूर है, यह पार्टी का आंतरिक विषय है, लेकिन संगठनात्मक कार्यक्रमों से इन नेताओं की दूरी प्रदेश भाजपा की बदलती सियासत की ओर इशारा करती है.

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