जयपुर. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर प्रदेश के कर्मचारियों ने गहलोत सरकार को आंख दिखाई है. राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति की ओर से समान वेतनमान सहित (Equal Pay for Equal Work) अपने 9 सूत्री मांग पत्र के समर्थन में जयपुर में धरना दिया जा रहा है. संघर्ष समिति ने सरकार को चेतावनी दी है कि समय रहते सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो जल्द ही आंदोलन को उग्र करेंगे.
समान काम, समान वेतन : अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि मंत्रालयिक कर्मचारी अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर लगातार सरकार के सामने अपना मांग पात्र देते आए हैं. बार-बार सरकार को ज्ञापन देने के बावजूद भी सरकार कर्मचारियों की मांग को लेकर गंभीर नहीं है. ऐसे में मजबूर आज बड़ी संख्या में (Employee Protest in Jaipur) मंत्रालयिक कर्मचारियों को धरना देना पड़ा है.
कर्मचारियों का गहलोत सरकार के खिलाफ हल्ला बोल... उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मांग है कि सचिवालय के समान वेतनमान, कनिष्ठ सहायक को आरंभिक वेतन 25,500 रुपये, चयनित वेतनमान 8, 16, 24, 32, गृह जिले में समायोजन सहित मांगों सहित 9 सूत्री मांग पत्र को लागू किया जाए. कर्मचारी नेता राजेश पारीक ने बताया कि संघर्ष समिति जब कर्मचारियों के वेतन और पदोन्नति के पद कट गए थे और मंत्रालयिक संवर्ग निराशा के गर्त में डूब गया था, उस वक्त संघर्ष समिति का गठन हुआ और संघर्ष समिति ने गत वर्ष दिनांक 9 सितंबर 2021 को शहीद स्मारक पर एक बड़ा धरना एवं प्रदर्शन किया.
उसके बाद से सरकार पर लगातार दबाव बनाए रखा गया. यहां तक कि बड़ी दीपावली पर शीर्ष नेतृत्व की ओर से अनिश्चितकालीन अनशन की चेतावनी दी गई, जिसके कारण मुख्यमंत्री को संघर्ष समिति को वार्ता के लिए बुलाना पड़ा था. इसी का परिणाम था कि इस वर्ष से होने वाली वेतन कटौती ही दूर नहीं हुई, कैडर रिव्यू कर पदोन्नति के बहुत सारे पद बहाल किए गए, जिससे प्रत्येक विभाग में संस्था एवं प्रशासनिक अधिकारी के पद स्वीकृत हुए. संघर्ष समिति ने इसके बाद भी लंबित मामलों में सचिवालय के समान वेतनमान को प्रमुख मांग बनाते हुए आंदोलन जारी रखा था.
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शुक्रवार को एक बार फिर एक दिन के धरने के माध्यम से (Protest Against Gehlot Government) सरकार को चेतावनी दी है कि वह समय रहते कर्मचारियों की मांग को पूरा करे. सरकार उनकी मांग को नहीं मानती है तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा.
ये हैं संघर्ष समिति की मांगें :
- अधीनस्थ मंत्रालयिक संवर्ग को सचिवालय के समान वेतनमान (सहायक प्रशासनिक अधिकारी (ग्रेड पे 4200) व पदोन्नति के अवसर और उप निदेशक (प्रशासन) का नवीन पद (ग्रेड पे 8700) में सृजित किया जाए.
- कनिष्ठ सहायक को 30 नवम्बर 2017 से पूर्व की भांति 9840 (ग्रेड पे 2400) बहाल कर 7वें वेतनमान में आरंभिक वेतन 25,500 किया जाए.
- पंचायती राज संस्थाओं में कनिष्ठ सहायक के 10,000 पद पुनः बहाल किए जाएं तथा मंत्रालयिक कर्मचारियों को अन्य विभागों के समान राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए तथा पदोन्नति के पद सृजित किए जाएं.
- चयनित वेतनमान 9, 18, 27 के स्थान पर 8, 16, 24, 32 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति पद के वेतन का लाभ दिया जाए.
- राजस्व मंडल का विघटन नहीं किया जाए और प्रशासनिक सुधार के नाम पर विभिन्न विभागों को समाप्त करने और मंत्रालयिक कर्मचारियों को अधिशेष करने की कार्यवाई बंद की जाए.
- 2018 बैच एवं इसके अतिरिक्त भी कोई मंत्रालयिक कर्मचारी, जिन्हें गृह जिले से अन्यत्र पदस्थापित किया हुआ है, उन्हें प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से एक बारीय शिथिलता प्रदान कर गृह जिलों में समायोजित किया जाए.
- वरिष्ठ सहायक के समाप्त किए गए पदों के अनुपात में पदोन्नति के पद क्रमोन्नत किए जाएं, ताकि कनिष्ठ सहायक के पदोन्नति के अवसरों में कमी नहीं हो.
- पदोन्नति के नव क्रमोन्नत पदों को पूर्ण रूप से भरने के लिए अनुभव में एक बारीय पूर्ण शिथिलता एवं एक वर्ष की छूट के स्थान पर पूर्व की भांति अनुभव में एक बारीय पूर्ण शिथिलन 31 मार्च 2023 तक दे कर करते हुए रिव्यू डीपीसी के स्थान पर प्रति वर्ष दो बार डीपीसी किए जाने के आदेश जारी किए जाएं, जिससे सभी विभागों में संस्थापन अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी के नवक्रमोन्नत समस्त पद कम से कम एक बार तो भरे जा सकें.
- मंत्रालयिक कर्मचारी निदेशालय गठन में राजस्थान के समस्त मंत्रालयिक कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची इकजाई करते हुए शासन सचिवालय मंत्रालयिक कर्मचारियों को भी इसमें शामिल किया जाए, अन्यथा निदेशालय का गठन नहीं किया जाए.