राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Conjunctivitis in Rajasthan : हवा से या देखने से नहीं फैलता कंजेक्टिवाइटिस, डॉक्टर बोले- प्रिकॉशन रखने जरूरी

इन दिनों आपके आसपास कोई ना कोई व्यक्ति रात में भी आंखों पर काला चश्मा लगाकर घूमता हुआ दिख जाएगा. दरअसल, ये कोई फैशन नहीं बल्कि वो व्यक्ति कंजेक्टिवाइटिस संक्रमण (आई फ्लू) से संक्रमित है. ये संक्रमण उस व्यक्ति से आपको ना मिले, इसके लिए प्रिकॉशन भी जरूरी है.

keep precautions for Conjunctivitis
आई फ्लू संक्रमित मरीज जांचते डॉक्टर

By

Published : Jul 25, 2023, 7:56 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 10:41 PM IST

डॉ. पंकज शर्मा ने क्या कहा...

जयपुर.मानसून के दौर में राजधानी सहित प्रदेश भर में वायरल कंजेक्टिवाइटिस तेजी से फैल रहा है, जिसे आम भाषा में आई फ्लू भी कहा जाता है. हर दिन सौ से डेढ़ सौ आई फ्लू संक्रमित मरीज सवाई मानसिंह अस्पताल में आ रहे हैं. इनमें बड़ी संख्या बच्चों की है. इस संक्रमण के फैलने के कारणों पर भी आमजन के बीच अलग-अलग राय है. विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि ये संक्रमण हवा से या देखने से नहीं फैलता. इसे लेकर एसएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विभाग विभागाध्यक्ष डॉ पंकज शर्मा ने बताया कि वायरल कंजेक्टिवाइटिस तेज फैलने वाला संक्रमण है.

मौसम में नमी और गर्मी से पनप रहा वायरस -वर्तमान में इसके फैलने का मुख्य कारण मौसम में नमी-गर्मी, जगह-जगह जलभराव और गंदगी की समस्या है. ये पाया गया है कि हर 2 या 3 साल में इससे संक्रमण का एपिडेमिक आता है. बीते वर्षों में कोविड-19 का लॉकडाउन रहा. इस वजह से इतना सीवियर देखने को नहीं मिला, लेकिन इस बार बहुत तीव्र और सीवियर फॉर्म आया है. एसएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में हर दिन तकरीबन 400 से 500 मरीजों की ओपीडी रहती है, जिनमें से हर चौथा मरीज कंजेक्टिवाइटिस संक्रमण से पीड़ित सामने आ रहा है. ये आंकड़ा इससे ज्यादा है, क्योंकि संक्रमित मरीज के घर में और भी लोग इससे पीड़ित होंगे, जो अस्पताल नहीं आते हैं. अमूमन लोग समान ट्रीटमेंट ही परिवार के और लोगों को भी दे देते हैं.

ये हैं लक्षण :लक्षणों की अगर बात करें तो आंख लाल हो जाना, आंख की बाहरी सतह में सूजन आना, आंखों से पानी आना और आंख का चिपकना, इसके अलावा कुछ लोगों को लगता है कि आंख में धूल के कण या मिट्टी जैसा कुछ चला गया है. ऐसे में लोग आंख को मसल भी लेते हैं. डॉ पंकज ने बताया कि ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये कंजेक्टिवाइटिस के लक्षण हैं. कई बार आंख में जो सूजन आती है, उसकी वजह से दाने भी बन जाते हैं, जो चुभते हैं. ये लक्षण जैसे ही आए तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

संक्रमित हाथों के टच से फैलता है कंजेक्टिवाइटिस -लोगों का मानना है कि कंजेक्टिवाइटिस संक्रमित मरीज को देखने से भी संक्रमण हो सकता है. इसे मिथ्या बताते हुए डॉ पंकज ने कहा कि यदि ऐसा होता तो सबसे पहले इस तरह के मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर इस बीमारी से संक्रमित होते. ये एक गलत धारणा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि ये हवा से नहीं फैलता और ना ही देखने से फैलता है बल्कि इसका माध्यम हैंड फोमाइट्स या संक्रमित हाथों का टच है. संक्रमित व्यक्ति के हाथ मिलाने, उसका मोबाइल लेने, उसके इस्तेमाल किए गए कपड़ों, टॉवल आदि का इस्तेमाल करने से फैलता है.

इस संक्रमण से बच्चे ज्यादा संक्रमित -डॉ पंकज के अनुसार ये संक्रमण सबसे ज्यादा बच्चों में पाया जा रहा है. बच्चों को हाइजीन के बारे में बता तो सकते हैं, लेकिन इसे लेकर उन्हें एनफोर्स नहीं कर सकते. इसी वजह से अमूमन बच्चों में ये संक्रमण ज्यादा तेजी से फैलता है. इस सम्बंध में स्कूलों में हिदायत दी गई है कि यदि किसी भी बच्चे को कंजेक्टिवाइटिस हो तो उसे तुरंत घर भेजें, ताकि ये संक्रमण और बच्चों में ना फैले. इसके अलावा जिनकी इम्युनिटी कम है, उनमें ये संक्रमण ज्यादा और तेजी से फैलता है.

प्रिकॉशन जरूरी -ये बीमारी क्योंकि हाथों के टच से जुड़ी हुई है, इसलिए बार-बार हाथ धोने चाहिए. यदि घर में किसी को संक्रमण है तो उससे उचित दूरी बनाएं. वो काला चश्मा लगाएं, ताकि बार-बार आंखों की तरफ हाथ ना जाए. यदि संक्रमित व्यक्ति खुद दवाई डाल रहा है तो ठीक है, यदि कोई और उसकी आंख में दवा डाल रहा है, तो हैंड वॉश करें. और संक्रमित मरीज भी लगातार अपने हाथ धोते रहें. यही नहीं संक्रमित मरीज से जुड़े कपड़े, तौलिया, बेडशीट और तकिया भी अलग ही रखें.

5 से 7 दिन में सामान्य उपचार से ठीक हो सकता है कंजेक्टिवाइटिस - जिस तरह सामान्य खांसी-जुकाम 5 से 7 दिन में ठीक होता है. उसी तरह कंजेक्टिवाइटिस भी 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है. डॉ पंकज ने बताया कि इसमें मुख्य रूप से उपचार सिर्फ यही है कि मरीज की तकलीफ कम हो. आंखें लाल रहना, पानी आना, उसके लिए प्लेन एंटीबायोटिक और सूजन कम करने की दवाई देते हैं. इसके अलावा संक्रमित मरीज थोड़ा गर्म सेक करें और सबसे जरूरी है कि बिना डॉक्टर की सलाह के किसी केमिस्ट से जाकर दवाई ना लें. क्योंकि ज्यादातर लोग इसमें स्टेरॉयड दवा दे देते हैं, जिसके लास्ट में डीएम या डीएक्स लगा रहता है. ये दवाएं सेकेंडरी इंफेक्शन को बढ़ा सकती हैं.

कंजेक्टिवाइटिस में कॉम्प्लिकेशन के चांस कम -उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि इस बीमारी का इलाज ना लेते हुए केवल सपोर्टिव ट्रीटमेंट लिया जाए, तो भी ये बीमारी 5 से 7 दिन में पूरी तरह ठीक हो जाती है. इसमें कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं होता. यदि मरीज स्टेरॉयड यूज़ करें या आंखों को ज्यादा मसल ले, तब संक्रमण अंदर तक फैल सकता है. उसमें ये बीमारी भयानक रूप ले सकती है. हालांकि इस तरह के केस अब तक देखे नहीं हैं, क्योंकि अब लोगों में जागरूकता भी बढ़ गई है. तत्काल संक्रमित मरीज डॉक्टर को दिखाता है, और सही तरीके से इलाज लेता है. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि किसी संक्रमित मरीज की आंखों की रोशनी कम होने का एक कारण हो सकता है कि जब ये संक्रमण ठीक हो जाता है, तब आंख में कॉर्निया के ऊपर कोई स्पॉट या दाने आ जाते हैं. जो इस इंफेक्शन का इम्यून रिएक्शन है, जिसकी वजह से कुछ धुंधलापन आ जाता है लेकिन वो ट्रीटमेंट से ठीक भी हो जाता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 10:41 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details