जयपुर:200 बच्चों को लोकतांत्रिक मूल्यों, संविधान की महत्वता क्या होती है, कैसे कानून शक्ल लेता है इस सबका भान कराती हुआ बाल सत्र प्रदेश के इतिहास में पहली बार आयोजित किया गया. प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी ऐसा पहली बार हुआ है. गंभीर मुद्दों को समझाने के लिए राजनीतिक दिग्गजों ने भी अपनी जिम्मेदारी निभाई. लोकसभा स्पीकर, विधानसभा स्पीकर, सीएम, नेता प्रतिपक्ष सबने अपने बच्चों को अद्भुत मंत्र दिए.
सहिष्णुता जरूरी- सीपी जोशी
बाल सत्र के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष (Vidhansabha Speaker) डॉ सीपी जोशी (CP Joshi) ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करना है तो संसदीय लोकतंत्र में सहिष्णुता (Tolerance) रखनी होगी. हर समस्या का समाधान डिबेट और सुझाव के जरिए करना होगा. जोशी ने कहा राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Vidhansabha) ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए अपने आप में यह पहला अनोखा बाल सत्र रखा, ताकि अगले 25 साल इस देश का भविष्य और उसकी जरूरतों को देखकर नीति का निर्धारण किया जाए.
जोशी ने कहा बच्चों के मन में किस प्रकार की कल्पना है उसको समझ कर देश के भविष्य के लिए नीतियों का निर्धारण होना चाहिए और इस मंच के जरिए यही जानने का प्रयास कर रहे हैं. जोशी ने यह भी कहा कि मैं खुद मनोविज्ञान का स्टूडेंट रहा हूं. मैं चाहूंगा कि इन बच्चों के सत्र के दौरान जो कंटेंट आए हैं उसका विश्लेषण कर देखा जाए कि आने वाले दिनों में किस तरह शिक्षा में, चिकित्सा में और अन्य चीजों में बदलाव किए जा सकते हैं. जोशी ने कहा संसदीय व्यवस्था में हमारे यहां डिबेट की व्यवस्था की गई है लेकिन आज भी देश में गौ हत्या के खिलाफ आंदोलन, अन्ना हजारे का आंदोलन, जयप्रकाश आंदोलन और अब कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन होते हैं.
यह इस बात का प्रतीक है कि यदि हमारी लोकसभा और विधानसभाओं में जन आकांक्षा को सही तरीके से प्रतिबिंबित नहीं किया जाएगा तो संसदीय लोकतंत्र कमजोर होगा. ऐसे में संसदीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है कि सदन में जन आकांक्षाओं को सही तरीके से प्रतिबिंबित किया जाए.