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Bal Diwas Session In Rajasthan: 'बाल सत्र' में गहलोत बोले- धर्म के नाम पर राजनीति देश हित में नहीं, Gandhigiri हमारी पहचान - jaipur

राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Vidhansabha) में ये ऐतिहासिक क्षण है. जब बच्चे ने अपने अंदाज में विधानसभा का संचालन किया. बाल दिवस (Bal Diwas) पर हुए विशेष बाल सत्र (Bal Diwas Session) के मुख्य अतिथि ओम बिरला थे. राजनीति के दिग्गजों ने इन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों का पाठ पढ़ाया. सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने देश की आजादी के लिए किए गए बलिदान की याद दिलाई. अध्यक्ष सीपी जोशी ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया.

Bal Diwas Session In Rajasthan
Gandhigiri हमारी पहचान

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Published : Nov 14, 2021, 1:57 PM IST

जयपुर:200 बच्चों को लोकतांत्रिक मूल्यों, संविधान की महत्वता क्या होती है, कैसे कानून शक्ल लेता है इस सबका भान कराती हुआ बाल सत्र प्रदेश के इतिहास में पहली बार आयोजित किया गया. प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी ऐसा पहली बार हुआ है. गंभीर मुद्दों को समझाने के लिए राजनीतिक दिग्गजों ने भी अपनी जिम्मेदारी निभाई. लोकसभा स्पीकर, विधानसभा स्पीकर, सीएम, नेता प्रतिपक्ष सबने अपने बच्चों को अद्भुत मंत्र दिए.

सहिष्णुता जरूरी- सीपी जोशी

बाल सत्र के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष (Vidhansabha Speaker) डॉ सीपी जोशी (CP Joshi) ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करना है तो संसदीय लोकतंत्र में सहिष्णुता (Tolerance) रखनी होगी. हर समस्या का समाधान डिबेट और सुझाव के जरिए करना होगा. जोशी ने कहा राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Vidhansabha) ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए अपने आप में यह पहला अनोखा बाल सत्र रखा, ताकि अगले 25 साल इस देश का भविष्य और उसकी जरूरतों को देखकर नीति का निर्धारण किया जाए.

Gandhigiri हमारी पहचान

जोशी ने कहा बच्चों के मन में किस प्रकार की कल्पना है उसको समझ कर देश के भविष्य के लिए नीतियों का निर्धारण होना चाहिए और इस मंच के जरिए यही जानने का प्रयास कर रहे हैं. जोशी ने यह भी कहा कि मैं खुद मनोविज्ञान का स्टूडेंट रहा हूं. मैं चाहूंगा कि इन बच्चों के सत्र के दौरान जो कंटेंट आए हैं उसका विश्लेषण कर देखा जाए कि आने वाले दिनों में किस तरह शिक्षा में, चिकित्सा में और अन्य चीजों में बदलाव किए जा सकते हैं. जोशी ने कहा संसदीय व्यवस्था में हमारे यहां डिबेट की व्यवस्था की गई है लेकिन आज भी देश में गौ हत्या के खिलाफ आंदोलन, अन्ना हजारे का आंदोलन, जयप्रकाश आंदोलन और अब कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन होते हैं.

यह इस बात का प्रतीक है कि यदि हमारी लोकसभा और विधानसभाओं में जन आकांक्षा को सही तरीके से प्रतिबिंबित नहीं किया जाएगा तो संसदीय लोकतंत्र कमजोर होगा. ऐसे में संसदीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है कि सदन में जन आकांक्षाओं को सही तरीके से प्रतिबिंबित किया जाए.

पढ़ें-CM Ashok Gehlot On NDA: महंगाई को लेकर NDA सरकार पर बरसे मुख्यमंत्री, बोले- आजादी के बाद पहली बार पड़ी आम लोगों पर इतनी बड़ी मार


हमारी खूबी गांधीगिरी - गहलोत

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भारत के लोकतंत्र को विश्व का सबसे मजबूत लोकतंत्र से बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की ही शक्ति है कि विश्व के बड़े से बड़े देश के कई टुकड़े हो गए लेकिन भारत अखंड रहा एकजुट रहा. गहलोत ने कहा यह इसलिए संभव हो सका क्योंकि हमारा संविधान मजबूत था.

उन्होंने कहां कि देश में प्रेम मोहब्बत पर सद्भावना और गांधीजी के अहिंसा और गांधीगिरी (Gandhigiri) कायम रहे इसकी जिम्मेदारी आप बच्चों और देश के भविष्य के ऊपर है. आज जो बाल सत्र हो रहा है यह निमित्त मात्र है क्योंकि इसके जरिए देश के लाखों करोड़ों बच्चों की भावना रखी जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जातिवाद व छुआछूत जैसी कई चुनौतियां है वही देश में धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है जो देश हित में नहीं है. इन सब चुनौतियों से निपटने की जिम्मेदारी है देश के भविष्य यानी आप पर ही है.

गहलोत ने कहा कि इस दौरान संविधान निर्माताओं और देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले महापुरुषों का उल्लेख करते हुए कहा कि आजादी हमें ऐसे ही नहीं मिली इसके लिए कई त्याग, बलिदान और कुर्बानियां भी हुई. उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू तक जेल में रहे. इंदिरा गांधी के दौर में पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए, गरीबों के लिए काम हुआ. देश को अखंड रखने के लिए इंदिरा गांधी की जान चली गई और राजीव गांधी की भी हत्या हो गई.

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