जयपुर. गहलोत और परसादी अंकल हमारे मम्मी-पापा डॉक्टर हैं, चोर-लुटेरे या कसाई नहीं. इस तरह के संदेश लिखी तख्तियां लेकर रविवार को निजी डॉक्टर्स के बच्चे भी उनके समर्थन में सड़कों पर उतरे और राइट टू हेल्थ बिल का विरोध किया. डॉक्टर्स के साथ उनके बच्चों ने कदम से कदम मिलाकर उनका साथ दिया. इस दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्ता भी गुलाब के फूल लेकर डॉक्टर्स से समझाइश करने पहुंचे. वहीं आमरण अनशन पर बैठीं डॉ. नीलम खंडेलवाल की तबीयत बिगड़ने पर साथी डॉक्टर्स ने इनीशिएटिव लेते हुए जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया.
राइट टू हेल्थ बिल को लेकर सरकार और प्राइवेट डॉक्टर्स के बीच चल रहा गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. दोनों अपने-अपने स्टैंड पर कायम हैं. ऐसे में फिलहाल कोई बीच का रास्ता निकलता भी नहीं दिख रहा. हालांकि इसका खामियाजा प्रदेश की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल, निजी अस्पताल पूरी तरह हड़ताल पर हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों में अधिकतर रेजिडेंट डॉक्टर्स उनके समर्थन में कार्य बहिष्कार किए हुए हैं. ऐसे में एसएमएस सहित प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में रविवार को मरीजों की संख्या काफी कम दिखी. पहले जहां अस्पताल में सुबह 7:00 बजे से मरीजों की कतार देखने को मिलती थी वहीं आज ओपीडी खाली नजर आई.
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चिकित्सकों के बच्चे भी प्रदर्शन में शामिल
राइट टू हेल्थ बिल को लेकर चल रही खींचतान के बीच रविवार को डॉक्टर्स एक बार फिर सड़कों पर उतरे. इस दौरान उनके साथ उनके बच्चे भी मौजूद रहे जो सीएम अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा से राइट टू हेल्थ बिल वापस लेने की मांग कर रहे थे. बच्चों ने हाथों में तख्तियां लेकर 'नो राइट टू हेल्थ बिल' के साथ लिखा था कि उनके माता-पिता डॉक्टर हैं, चोर लुटेरे या कसाई नहीं.