भाजपा प्रत्याशी चंद्रमनोहर बटवाड़ा से खास बातचीत जयपुर. किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी चंद्रमनोहर बटवाड़ा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. ऐसे में उन्होंने परिणाम आने के बाद क्षेत्र के सांस्कृतिक स्वरूप, पर्यटन और पलायन को रोक कर जनसंख्या अनुपात सुधारने को अपनी प्राथमिकता बताया. वहीं, मतदान के बाद प्रत्याशी एक महीने की थकान उतार रहे हैं. साथ ही अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर बूथ वाइज हार-जीत की गणित पर मंथन में लगे हैं.
इधर, ईटीवी भारत से खास बातचीत में चंद्रमनोहर बटवाड़ा ने बताया, ''उनकी दिनचर्या जल्दी शुरू हो जाती है. उसमें कुछ परिवर्तन नहीं हुआ, लेकिन नियमित रूप से वो इन दिनों शाखा (आएएसएस की शाखा) नहीं जा पा रहे हैं. साथ ही वकालात में भी समय नहीं दे पाए. बाकी सामाजिक गतिविधियों के साथ जो जनसंपर्क के काम करने थे, उसमें अधिकतम समय लगा.'' आगे उन्होंने कहा, ''सुबह जल्दी उठने के चलते चाय परिवार वालों के साथ पी लेते थे और ये इसलिए भी संभव हो पाता था, क्योंकि उस वक्त तक कोई कार्यकर्ता नहीं आता था. यही वजह है कि नियमित व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं आया.''
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कार्यकर्ता के बीच परिजनों से होती थी चर्चा :उन्होंने बताया, ''चुनाव प्रक्रिया के दौरान परिवार के लोग भी साथ रहते थे. इसलिए उनसे मिलना कम या ज्यादा नहीं हुआ. बहुत ज्यादा कोई गोपनीय बातें होती नहीं थी, इसलिए भी परिवार से कुछ छुपाने की आवश्यकता नहीं पड़ी. कार्यकर्ताओं के बीच बैठकर परिवार से बात की और परिवार के साथ रहते हुए भी कार्यकर्ताओं से चर्चा की. ऐसे में सभी के सहयोग और उत्साह के बीच कार्यों को संपादित किया.''
लोगों को मतदान के लिए किया जागरूक :भाजपा प्रत्याशी चंद्रमनोहर बटवाड़ा ने बताया, ''प्रचार के दौरान हमारा पहला मकसद मतदाताओं को मतदान के लिए जागरूक करना था, ताकि वो पोलिंग बूथों तक पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग करें. ऐसे में इसके लिए हम लगातार जनसंपर्क करते रहे. साथ ही सभी से यही आग्रह करते रहे कि वो अपनी फोन सूची में जितने भी किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से जुड़े लोग हैं, उनसे वोट डालने की अपील करें. सभी ने इस अपील को सुना और यही वजह है कि इस बार क्षेत्र में मतदान प्रतिशत बढ़ा है.''
पीएम मोदी की रैलियों का हुआ असर :वहीं उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों का भी लोगों पर असर देखने को मिला. क्षेत्र के लोग पीएम मोदी की बातों से प्रभावित नजर आए और चुनाव वाले दिन मतदान केंद्रों पर पहुंचकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल किए. चूंकि मुस्लिम समुदाय का वोट फिक्स था. ऐसे में बढ़े हुए वोटिंग परसेंटेज से उनकी जीत भी सुनिश्चित लग रही है.''
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गिनाई प्राथमिकता :उन्होंने कहा, ''जीत सुनिश्चित है तो ऐसे में कुछ कार्यों को भी प्राथमिकता पर करने का विचार किया है. जनसंपर्क के दौरान जो समस्याएं देखी, उसमें सबसे बड़ी समस्या पलायन की है. मकान मौजूद है, लेकिन लोगों ने अपने निवास बदल लिए है और दूसरी समस्या पार्किंग, पर्यावरण और तंग गलियों से जुड़ी हुई है. केंद्र सरकार ने शहर को मेट्रो सिटी और स्मार्ट सिटी बनाने का प्लान किया, उसे राजस्थान सरकार वो स्वरूप देने में विफल रही. केंद्र से पैसा भी मिला, लेकिन उस पैसे को कहीं और खर्च कर दिया गया. खैर, अब मेरी प्राथमिकता में जयपुर का सांस्कृतिक स्वरूप, पर्यावरण की शुद्धता, पर्यटन और जो यहां से छोड़कर गए हैं, उन्हें दोबारा यहां लाकर बसाने की है, ताकि यहां के जनसंख्या के अनुपात को सुधारा जा सके.