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हनुमानगढ़ के लोगों को बड़ी राहत...पराली जलने से होने वाले नुकसान से मिलेगा छुटकारा, जानें कैसे

हनुमानगढ़ में कृषि विभाग की ओर से सुपर सीडर मशीन लाई गई है जो जली हुई पराली से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी नुकसान से आमजन को छुटकारा दिलाएगी. साथ ही जमीन में नई फसल बुवाई व जमीन को उर्वरक बनाने में भी काफी मददगार साबित होगी.

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कृषि विभाग की ओर से कार्यशाला का आयोजन

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Published : Nov 6, 2020, 5:12 PM IST

हनुमानगढ़.जिले में अब कृषि विभाग ने एक ऐसी सुपर सेलर मशीन लाई है जो जली हुई पराली से होने वाले नुकसान से आमजन को छुटकारा तो दिलाएगी. साथ ही जमीन में नई फसल बुवाई व जमीन को उर्वरक बनाने में भी काफी मददगार साबित होगी. जिले में धान की फसल अधिक होने से पराली जलाने का कार्य काफी बड़ी तादाद में होता है. जिससे वातावरण प्रदूषित होता है व इसके धुएं से आमजन के स्वास्थ पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है.

कृषि विभाग की ओर से कार्यशाला का आयोजन

इन्हीं सारी समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए कृषि विभाग की ओर से एक सकारात्मक पहल किया गया है. विभाग ने सुपर सीडर नाम की मशीन मंगवाई गई है जो पराली के प्रबंधन में खास भूमिका निभाएगी. इस मशीन की जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए जिला मुख्यालय के नजदीकी गांव सतीपुरा के पास एक खेत में कृषि विभाग की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में जिला कलेक्टर जाकिर हुसैन व कृषि उपनिदेशक दाना राम गोदारा ने किसानों से पराली नहीं जलाने की अपील की है. जिला कलेक्टर और कृषि विभाग के अधिकारियों ने मशीन की उपयोगिता बताते हुए लोगों को इसके प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया.

वहां माजूद किसानों को सुपर सीडर मशीनों से पराली को काटने का डेमो भी दिखाया. साथ ही अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में कुल 7 सुपर सीडर मशीनें 80 फीसदी अनुदान से प्रस्तावित हुई हैं. जिसमें 5 मशीनें वितरित कर दी गई है और बाकी की जैसे-जैसे मांग होगी वैसे-वैसे किसानों को उपलब्ध करवाई जाएगी. वहीं किसानों में मशीनों के उपयोग सबंधी जागरूकता लाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में संगोष्ठियों का आयोजन कर मशीनों का डेमो दिया जा रहा है.

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साथ ही विभाग की ओर से विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र, उपकरण जैसे हैप्पीसीडर के अलावा रोटावेटर, बैलर, चौपर, स्ट्रारीपर व मल्चर इत्यादि 75 से 80 फीसदी अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाएंगे. बता दें कि पराली जलाने पर होने वाले नुकसान पर न्यायालय की ओर से भी टिप्पणी की जा चुकी है. साथ ही केंद्र सरकार ने भी हाल ही में पराली प्रदूषण को रोकने के लिए 15 सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया है.

जिसमें सरकार की ओर से इसपर सख्त कानून बनाने की बात आ रही है. हालांकि इस बार पराली जलाने वाले किसानों पर जिला कलेक्टर ने 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाने के आदेश जारी किए हैं. जिले में धान बुवाई की बात करे तो,35 हजार हैक्टर धान की बुवाई होती है।व 20 से 22 लाख क्विंटल पराली का उत्पादन होता है।ऐसे में पराली जलाने के बाद प्रदूषण की बड़ी समस्या होती है. अब देखने वाली बात यह होगी की धरातल पर ये प्रयास कितने सफल होते हैं.

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