डूंगरपुर. जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत का राजस्व गांव जसपुर झापका की पहचान अब प्याज वाले गांव से होने लगी है, क्योकि इस गांव में विगत 10 से 12 वर्षों से किसान खेतों में प्याज की खेती करते आ रहे है. यहां के प्याज उदयपुर संभाग के कईं गांवों तक जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद किसानों को मेहनताना भी पूरा नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसानों को सस्ते व कम दर में प्याज बेचना पड़ रहा है.
किसानों के अनुसार कृषि मंडी अगर प्याज की खरीददारी करे तो किसानों के हौसलों को नई ऊंची उड़ान मिलेगी. वहीं प्याज की खेती की ओर रुझान भी अधिक बढ़ेगा.
प्रतिदिन 400 टन निकल रहे हैं प्याज
जसपुर गांव में पाटीदार समाज सहित अन्य काश्तकारों का रुझान प्याज की फसल की ओर बढ़ा है. किसान 10 वर्ष से से इसकी खेती कर रहे है. प्रतिदिन किसान परिवारों कि ओर से लगभग 400 टन प्याज निकालकर वाहनों में भरकर गांव-गांव बेचने का क्रम बना हुआ है. दुकानों में जो प्याज 15 से 18 रुपये में बिक रहा है, वहीं इस प्याज की कीमत बाजार में 10 रुपये आ रही है. ऐसे में दिनभर वाहन किराया, श्रमिक का मेहनताना निकाले तो किसान की जेब मे प्रतिकिलो पर 5 से 7 रुपये ही बचत हो पा रही है.
ऐसे में कृषि मंडी प्याज की सीधी खरीद करें तो काश्तकारों को अधिक लाभ मिलने के आसार बनेंगे. जसपुर गांव में प्याज की खेती को देखकर काठड़ी के किसान भी इस खेती में जुट गए है.