डूंगरपुर.गुजरात के ईसरी थाना पुलिस ने डूंगरपुर के खरपेड़ा निवासी जिसे मृत घोषित कर दिया था, अब वही शख्स जिंदा अपने घर लौट आया है. इस हत्या के मामले में गुजरात पुलिस ने उसी के दो भाइयों को गिरफ्तार कर लिया था, जो इन दिनों गुजरात जेल में बंद हैं. अब व्यक्ति के जिंदा लौटने के बाद गुजरात पुलिस की जांच पर सवाल उठने लगे हैं तो वहीं जेल में बंद दोनों भाइयों को छुड़ाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.
झूठी हत्या के आरोप में सजा काट रहे दो भाई जानकारी के अनुसार गुजरात के ईसरी थाना क्षेत्र के मोरी में 6 फरवरी को एक सड़ा-गला शव मिला था, जिसकी पहचान डूंगरपुर के धंबोला थाना क्षेत्र के खरपेड़ा निवासी ईश्वर पुत्र खातु मनात के रूप में कई गई थी. मृतक की पहचान उसकी पत्नी, साले, सास और ससुर ने की थी. जबकि मृतक के दोनों भाई प्रकाश और पारस ने शव को अपना भाई बताने से इंकार कर दिया था.
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भाइयों ने पुलिस को ईश्वर के पैर में रॉड होने का हवाला दिया था, जो शव के पैरों में नहीं था. बावजूद इसके पुलिस ने मृतक को ईश्वर बताते हुए शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया था. इसके बाद परिजनों ने शव को अपने गांव लाकर सामाजिक रीति-रिवाज से गाड़ दिया था. वहीं, परिजनों को संदेह होने पर वे अपने बेटे से संपर्क करने का भी प्रयास कर रहे थे, लेकिन उससे बात नहीं हो पा रही थी.
पुलिस ने उसी के दो भाइयों को गिरफ्तार कर भेज दिया जेल...
ईश्वर की मौत पर उसकी पत्नी ने ईसरी पुलिस थाने में हत्या का केस दर्ज करवाया था. जिस पर पुलिस ने मृतक ईश्वर के ही दोनों भाइयों प्रकाश और पारस को हत्या के आरोप में गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया था. इसके बाद से भाई की हत्या के मामले में उसी के भाई जेल की सजा काट रहे हैं.
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बेटा जिंदा लौटा तो चौंक गए लोग...
ईश्वर को ईसरी थाना पुलिस ने 6 फरवरी को मृत घोषित कर दिया गया. जबकि वह 25 जुलाई को गुजरात से वापस अपने गांव लौट आया. ईश्वर को जिंदा देखकर गांव और परिवार के लोग चौंक गए. ईश्वर ने जब खुद अपना परिचय दिया तब भी लोगों को आश्चर्य हुआ, लेकिन जब ईश्वर ने पूरे मामले की हकीकत बताई तो लोगों को विश्वास हुआ और इसके बाद पूरे मामले से डूंगरपुर के धंबोला थाना पुलिस को अवगत करवाया गया.
मैं जिंदा हूं, मेरे भाइयों को फर्जी तरह से पकड़ा है : ईश्वर
ईटीवी भारत ने ईश्वर से बातचीत की तो उसने बताया कि वह दिसंबर 2019 में गुजरात के जूनागढ़ में मजदूरी के लिए गया था. लेकिन उसके पास मोबाइल नहीं होने और घर के किसी भी व्यक्ति का नंबर याद नहीं होने से वह अपने परिवार के लोगों से संपर्क नहीं कर पाया. इसी बीच मार्च में लॉकडाउन लग गया और इस दौरान भी वह कोरोना के डर से घर नहीं आया. अब वह लौटा है तो उसे सभी लोग मरा हुआ बताने लगे तो एक बार वह खुद भी चौंक गया.
जांच पर उठने लगे सवाल...
ईश्वर को मृत बताने के मामले में अब गुजरात के ईसरी थाना पुलिस की जांच पर कई सवाल उठने लगे हैं. मामले में ईश्वर के ही भाई अनिल ने बताया कि गुजरात पुलिस घटना के बाद उसे भी उठाकर ले गई थी और हत्या करने के मामले में जबरन कुबूल करवा रही थी, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया था. इस मामले को लेकर ईश्वर के वकील शार्दूल सिंह राठौड़ ने बताया कि ईसरी थाना पुलिस ने पूरे घटना की जांच में लापरवाही बरती है. मृत व्यक्ति की पहचान सही ढंग से नहीं की और ना ही मामले में कोई डीएनए किया गया.
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मृतक के भाइयों की ओर से पहचान से मना करने के बावजूद भी ईसरी पुलिस ने पत्नी की रिपोर्ट पर हत्या का केस दर्ज करते हुए फर्जी तरीके से मृतक के ही दोनों भाइयों को गिरफ्तार किया. इस पूरे मामले में ईसरी पुलिस, पत्नी सहित ससुराल पक्ष पर मिलीभगत का आरोप लगाया गया है. वकील शार्दूल सिंह राठौड़ ने बताया कि जेल में बंद निर्दोष लोगों को जल्द रिहा किया जाए. साथ ही मामले में ईसरी थाना पुलिस और मृतक के ससुराल पक्ष के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. इसके लिए गुजरात गृह मंत्रालय, पुलिस महानिदेशक, आईजी और केंद्रीय मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई गई है.