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विदेशियों को रास आ रहा है वागड़, अब स्पेन से आए दो शोधार्थी सीख रहे हैं जैविक खेती

स्पेन के ब्रसलोना से दो विदेशी शोधार्थी 13 जुलाई से जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत के चुण्डियावाडा गांव के ईश्वरसिंह राठौड़ के निवास पर रहकर जैविक खेती के गुर सीखने के साथ ही भारतीय संस्कृति की जानकारी लेंगे. दोनों शोधार्थी डेढ़ माह तक चुण्डियावाड़ा मे रुकेंगे.

विदेशियों को रास आ रहा है वागड़

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Published : Jul 22, 2019, 6:58 PM IST

आसपुर(डूंगरपुर). स्पेन से आए सेर्गे इलेक्ट्रॉनिक मेकेनिकल है वहीं सिल्विया मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए कार्य करती हैं. यह बेहतरीन कोडियोग्राफर भी है. दोनों शोधार्थी भारत मे दो माह से आए हुए है. जिन्होंने चार धाम की यात्रा के बाद जिले के चुण्डियावाड़ा पहुंचे है जहां 15 अगस्त से अधिक समय तक यहां पर रुकेंगे. दोनों ही चुण्डियावाड़ा निवासी ईश्वरसिंह राठौड़ के फार्म हाउस पर खेतो में घास कटाई के साथ मवेशियों के दूध दोहने सहित कई कार्य मे हाथ बटाते हुए जैविक खेती के गुर सीखेंगे.

विदेशियों को रास आ रहा है वागड़
गांव के ईश्वरसिंह ने बताया वर्ष 2006 से विदेशियों के आने का सिलसिला जारी है. जिससे लोगों को भी अच्छा लगता है. जैविक खेती को लेकर विदेशियों के जूनून से यकिनन भारतीय भी प्रेरित हो रहे हैं. यही वजह है कि वागड़ में जिस तरह से विदेशियों के आने का सिलसिला जारी है. उससे कहीं ना कहीं यह बात साफ है कि अब वागड़ क्षेत्र का रुख जैविक खेती की ओर ज्यादा होगा.

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