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Exclusive : मेधा पाटकर का मोदी सरकार पर हमला, कहा- किसानों को लेकर केंद्र सरकार की नीति दमनकारी

दिल्ली में आयोजित किसान आंदोलन में शामिल होने जा रहे किसानों के दल को गुरुवार रात को उत्तर प्रदेश में आगरा बॉर्डर पर रोक दिया गया. इसे लेकर सामजिक कार्यकर्ता और किसान नेता मेधा पाटकर ने रोष जताते हुए भाजपा सरकार को किसान विरोधी बताया है. पेश है मेधा पाटकर से खास बातचीत

Medha Patkar in the peasant movement
किसान आंदोलन में मेधा पाटकर

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Published : Nov 27, 2020, 2:32 PM IST

धौलपुर. कर्नाटक से 22 तारीख को रवाना हुए किसान दल को गुरुवार को धौलपुर जिले के आगरा बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश शासन ने रोक दिया है. सामाजिक कार्यकर्ता एवं किसान नेता मेधा पाटकर के नेतृत्व में किसानों का काफिला दिल्ली रामलीला मैदान में आयोजित धरने में शामिल होने जा रहा था. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग-3 पर किसानों के काफिले के प्रवेश पर रोक लगा दी है.

किसान आंदोलन में मेधा पाटकर

रात भर सैकड़ों की तादाद में महिला और पुरुष किसानों का दल हाईवे पर ही कड़ाके की ठंड में बैठा रहा. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने सीमा के अंदर जाने की परमिशन नहीं दी. नर्मदा बचाओ समिति की संयोजक मेधा पाटकर ने कहा कि किसानों का कदम आगे बढ़ चुका है और अब वापस नहीं होगा. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा सरकार पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया है. हाल ही में केंद्र सरकार ने संसद एवं राज्यसभा में किसानों के तीन बिल पारित किए गए थे जिसके विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं.

किसान आंदोलन में मेधा पाटकर

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ईटीवी में भारत से खास बातचीत में नर्मदा बचाओ आंदोलन समिति की संयोजक मेधा पाटकर ने कहा कि सैकड़ों की तादाद में किसान दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाले प्रोटेस्ट में शामिल होने जा रहे हैं. धरने में शामिल होने के लिए कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के किसान हितेषी संगठन केंद्र सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 22 तारीख से किसानों का दल कर्नाटक से रवाना हुआ है. जो देश के विभिन्न प्रांत एवं जिलों में होकर धौलपुर के उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर पहुंच गया, लेकिन यूपी सरकार ने किसानों की रैली को आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग-3 पर रोक दिया है. इससे उत्तर प्रदेश सरकार का जन विरोधी चेहरा सामने आया है.

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सरकार उद्योगपतियों को दे रही लाभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर प्रहार करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि उनकी सरकार झूठे वादे करती है. भाजपा की सत्ता चंद मुट्ठी भर कॉरपोरेट्स के हाथ में रहकर काम कर रही है. भाजपा सरकार सिर्फ अडानी एवं अंबानी को लाभ दे रही है. मौजूदा वक्त में देश का किसान बदहाल होता जा रहा है. केंद्र सरकार किसानों का समर्थन मूल्य निर्धारित नहीं कर पा रही है. उन्होंने कहा कि हाल ही में लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने बिना सवाल जवाब के किसानों के तीन बिल पारित किए हैं.

धरने पर बैठे किसान

कृषि विधेयक बिल किसानों के लिए काला कानून साबित होंगे. तीनों बिल किसान को गर्त में ले जाएंगे. किसानों का व्यापारी एवं मंडियों से संपर्क कट जाएगा. उन्होंने कहा किसानों का कदम आंदोलन के लिए आगे बढ़ चुका है जो अब केन्द्र सरकार को झुका कर ही वापस होगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े-बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ किए, लेकिन किसानों को कोई राहत नहीं दी गई. उद्योगपति कर्ज लेकर बाहर चले गए जिनकी जिम्मेदारी सीधी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाती है.

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देश के किसान बदहाल हालत में

देश का किसान बदहाल स्थिति में है. लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों को कर्ज से मुक्ति नहीं दी है. देश में लगातार बिजली, खाद, बीज के दाम बढ़ाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा आंदोलन के लिए उनका मुंह दिल्ली की तरफ हो गया है. अगर उत्तर प्रदेश सरकार ने आगे प्रवेश नहीं दिया तो डेरा हाईवे पर ही पड़ा रहेगा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने किस धारा, किस सेक्शन के तहत उन्हें रोका है इसका जवाब क्यों नहीं दे रही है.

उन्होंने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं पर अत्याचार, बलात्कार जैसी घटनाएं हो रहीं हैं. उप्र सरकार ने किसानों को रोक कर यह संदेश दिया है कि यह देश से अलग प्रांत हैं. भाजपा की केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार संवादहीन है. उन्होंने राजस्थान सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने हमें खाना खिलाया और हाईवे पर शरण भी दी.

हाईवे पर धरना

योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार आतंकवादी सरकार है. भाजपा सरकार ने निष्कलंक एवं निष्पाप लोगों को नागरिकता के नाम पर मार डाला. समूचा उत्तर प्रदेश अपराध की गढ़ बन चुका है. उन्होंने कहा किसानों का आगे बढ़ा हुआ कदम वापस नहीं होगा और दिल्ली सरकार को चुनौती देते रहेंगे. उधर, हाईवे पर किसानों का काफिला बैठने से जाम के हालात बन गए हैं. हालांकि आंदोलनकारी किसानों ने एक तरफ के सड़क मार्ग को आवागमन के लिए खुला छोड़ दिया है. जिससे इमरजेंसी केसों को निकाला जा रहा है.

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