चूरू. जिला मुख्यालय से करीब 6 किमी दूर रेतीले धोरों के बीच बसा गांव घंटेल कौमी एकता और भाईचारे की एक ऐसी इबारत लिख रहा है, जिसका हर कोई कायल है. करीब छह हजार की आबादी वाले इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है. लेकिन गंगा-जमुनी तहजीब को गांव के हिंदू परिवार पूरी शिद्दत के साथ सहेजे हुए हैं.
यहां धर्म से बढ़कर उस परंपरा और आस्था को निभाया जा रहा है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी यहां के बाशिंदों को विरासत में मिली है. इस गांव के लोगों में पीर बाबा के प्रति भी गहरी आस्था है. यह एक ऐसी दरगाह है जो सर्व धर्म सद्भाव का संदेश देती है. यहां हिंदू समाज के लोग पूजा करते हैं तो मुस्लिम अपना शीश नवाते हैं. यानी हर मजहब के लोग यहां आते हैं. कोई इस स्थान को पीर साहब की दरगाह कहता है तो कोई इसे पीर साहब का थान मानता है. खास बात तो यह है कि इस दरगाह के पुजारी हिंदू है. इस गांव की पीर बाबा दरगाह पर हर शुक्रवार को छोटा मेला भी लगता है.
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दरगाह की सार-संभाल करने वाले गांव के संतलाल का मानना है कि पीर-देवता किसी धर्म में बंटे हुए नहीं होते. बल्कि, लोगों के कल्याण के लिए होते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि फिलहाल 70 फीट से अधिक ऊंचे टीले पर यह दरगाह है और हर साल इस दरगाह की थोड़ी ऊंचाई बढ़ती जाती है. इस दरगाह की ऊंचाई के बराबर गांव में अब तक कोई भवन नहीं बना हुआ है.