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भागो-भागो ! आसमान से पत्थर बरस रहे हैं...कुछ ऐसा है चित्तौड़गढ़ के एक गांव का हाल

शहर के भोईखेड़ा की हड़माला कच्ची बस्ती के वासी रहस्यमय तरीके से होने वाली पत्थरबाजी (Stone Pelting) से दहशत में जी रहे हैं. इसके कारणों का पता लगाने के लिए क्षेत्रवासियों ने जहां पत्थर गिर रहे हैं, उसके आस-पास के एक किलोमीटर का कोना-कोना छान मारा, लेकिन पत्थरबाजी के रहस्य का पता लगाने में नाकाम रहे.

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भोईखेड़ा की हड़माला कच्ची बस्ती के लोग

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Published : Jun 12, 2021, 5:32 PM IST

चित्तौड़गढ़. शहर के भोईखेड़ा की हड़माला कच्ची बस्ती क्षेत्र के लोग आजकल दहशत में जी रहे हैं और आलम कुछ यूं है कि ग्रामीण घर से बाहर निकलने से भी डर रहे हैं. गांव वासियों के इस हाल के लिए जिम्मेदार एक ऐसी रहस्यमय परिस्थिति है जिसमे पत्थर बरस (Stone Pelting) रहे हैं. ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने इस समस्या को हल करने की कोशिश नहीं की है, पर अभी तक की सारी कवायद ढाक के तीन ही साबित हुई है. मामले की शिकायत पुलिस से भी की गई है. क्योंकि लोगों को चिंता सता रही है कि कोई अनहोनी न हो जाए. यही कारण है कि माता-पिता बच्चों को खेलने के लिए भी घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं.

भोईखेड़ा की हड़माला कच्ची बस्ती

नगर परिषद के भोइखेड़ा की हड़माला कच्ची बस्ती में रहने वाले करीब 300 परिवार गत छह दिन से दहशत में हैं. इस क्षेत्र के मकानों पर रहस्यमय तरीके से पत्थर बरस रहे हैं. इसके कारणों का पता लगाने के लिए क्षेत्रवासियों ने जहां पत्थर गिर रहे हैं, उसके आस-पास के एक किलोमीटर का कोना-कोना छान मारा, लेकिन पत्थरबाजी के रहस्य का पता लगाने में नाकाम रहे.

गनीमत रही कि अब तक पत्थरबाजी में किसी भी व्यक्ति को चोट नहीं लगी है और न ही आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. क्षेत्रीय पार्षद बाल किशन भोई ने बताया कि कुछ दिन पूर्व जब क्षेत्रवासियों ने पत्थरबाजी की घटना के बारे में बताया तो इस बात का विश्वास नहीं हुआ. वहीं जब मौके पर जाकर देखा तो उनके सामने भी पत्थरबाजी जारी रही. लोगों ने बताया कि रात-दिन पत्थरबाजी होने के कारण उन्हें बच्चों की चिंता सताने लगी है. हालांकि क्षेत्रीय पार्षद ने पत्थरबाजी की घटना की जानकारी शहर कोतवाली पुलिस को भी दी है. सूचना पाकर मौके पर पुलिस पहुंची और पूरे मामले की जानकारी लेकर अब रहस्य की गुत्थी को सुलझाने में लगी है.

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मजदूर एवं किसान वर्ग के लोग ज्यादा...

जानकारी में सामने आया है कि बस्ती में दिहाड़ी मजदूर, ठेला चलाने वाले, सब्जी बेचने वाले व किसान वर्ग के लोग ज्यादा निवास कर रहे हैं. ऐसे में कईयों के मकान कच्चे हैं तो किसी की छत पर टिन शेड है. ऐसे में जब पथराव होता है और छत पर पत्थर गिरते हैं तो तेज आवाज आती है. ऐसे में आस-पास के लोगों की नींद उचट जाती है. वैसे तो यह बस्ती अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुई है तथा सड़कें भी कच्ची हैं. लेकिन जो पत्थर आ रहे हैं इनमें अधिकांश नदी में पाए जाने वाले पत्थर ज्यादा हैं. यह बस्ती भी नदी के किनारे ही कुछ दूरी पर बसी हुई है.

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