चित्तौड़गढ़.पूरा देश कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. इस बीच गत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सांसद निधि को लेकर बड़ा फैसला लिया गया था. बैठक में तय किया है था कि अगले दो वर्षों तक सांसदों को क्षेत्र के विकास के लिए खर्च दिए जाने वाले फंड पर रोक लगा दी गई है. यह आदेश आने के बाद सभी संसदीय क्षेत्रों में सांसद मदद से होने वाले कार्यों के अटकने के कयास लगाए जा रहे थे.
ऐसे में चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में भी ऐसी ही संभावनाएं जताई जा रही थी, लेकिन इस संबंध में जब पड़ताल की तो सामने आया कि चितौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में सांसद मद से पूर्व में दिए बजट के एक भी काम अधूरे नहीं रहेंगे. इसका कारण भी यह सामने आया कि सांसद मद से बड़े कार्यों में स्वीकृति नहीं दी, जिसमे बजट की बहुत अधिक जरूरत हो.
अब तक छोटे-छोटे कार्यों को ही स्वीकृति दी, जो अधिकतम 8 से 10 लाख के बजट थे, जो एक बार में ही पूरे हो. जानकारी के अनुसार देश में सांसदों को सांसद निधि के तहत खर्च करने के लिए फिलहाल पांच करोड़ रुपए प्रति वर्ष मिलते हैं. हाल ही में संसदीय समिति ने इसे बढ़ाकर 10 या 15 करोड़ रुपए किए जाने की सिफारिश की थी.
सांसद क्षेत्रीय विकास योजना या सांसद निधि की नियमावली के अनुसार, प्रत्येक वर्ष की राशि ढाई-ढाई करोड़ की किस्तों में दो बार निर्गत होती है. इसमें एक किस्त का काम पूरा कर उसका उपयोग प्रमाण पत्र जमा करा दिया, तभी दूसरी किस्त जारी होती है.
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मोदी सरकार-2 का एक वर्ष हाल ही में पूरा हुआ है. एक वर्ष पूरा होता उससे पहले ही कोरोना का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में गत दिनों पीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में सांसद निधि पर अगले दो साल के लिए रोक लगा दी गई है. इसका विपक्ष सहित कई राजनीतिक दलों ने विरोध भी किया था.