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बहु की हार की टीस फिर उभरी...देवीसिंह भाटी...का अर्जुन राम मेघवाल के टिकट का विरोध - Narendra Modi

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Published : Mar 15, 2019, 6:39 PM IST

Updated : Mar 15, 2019, 7:05 PM IST

2019-03-15 17:19:39

भाटी बीजेपी से दे सकते हैं इस्तीफा

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बीकानेर. भाजपा नेता देवीसिंह भाटी ने भाजपा छोड़ने की तैयारी कर ली है. बीकानेर के सांसद और मोदी की कैबिनेट में राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल को फिर से बीकानेर से मैदान में उतारने की तैयारी कर चुकी है और देवी सिंह भाटी को भी इसी बात का विरोध है.
मेघवाल को भाटी ही राजनीति में लाए
भाटी लगातार मेघवाल की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं. हालांकि अर्जुन मेघवाल को राजनीति में लाने और बीकानेर से सांसद का चुनाव लड़ाने में देवी सिंह भाटी का अहम योगदान रहा है लेकिन उसके बाद भाटी जी मेघवाल से अदावत हो गई और इसी अदावत के चलते दोनों के बीच बढ़ी दूरियों ने एक-दूसरे को राजनीतिक प्रतिद्वंदी बना दिया.
आखिर क्यों है विरोध
प्रदेश की भाजपा में एक प्रमुख चेहरा होने के साथ ही पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में एक क्षत्रप के रूप में देवी सिंह भाटी शुमार रहे हैं और लगातार सात बार कोलायत से विधानसभा चुनाव जीते हैं लेकिन 2013 में देवीसिंह भाटी चुनाव हार गए और 2018 में उनकी पुत्रवधू पूनम कंवर ने उनकी जगह भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन वह भी हार गई. राजनीतिक जानकारों की माने तो भाटी को अंदर खाने में इस बात की टीस है कि उन्हें चुनाव हरवाने में अर्जुन मेघवाल का अहम रोल रहा है और यही कारण है कि भाटी मेघवाल की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं.
कुछ दिन पहले देवी सिंह भाटी ने अनुसूचित जाति के लोगों को इकट्ठा कर मेघवाल जाति के अलावा अन्य जातियों में से किसी एक को टिकट देने की आवाज उठाई थी. इससे पहले भी कई बार भाटी मेघवाल के खिलाफ राजनीतिक मंच पर बयान बाजी कर चुके हैं और पार्टी के मंच पर भी उनका खुलकर विरोध कर चुके हैं और यही कारण रहा कि अब जब टिकट वितरण के समय भाटी ने पार्टी के आला नेताओं तक अपनी बात पहुंचाई और उनकी बात नहीं मानी गई तो मेघवाल को टिकट मिलने की संभावना से पहले ही उन्होंने पार्टी को छोड़ने का निर्णय कर लिया. 
भाटी के छोड़ने का क्या होगा असर
वैसे तो खुद देवीसिंह भाटी राजपूत समाज से आते हैं और राजस्थान के राजपूत नेताओं में उनका नाम अग्रणी है लेकिन सामाजिक न्याय मंच के बैनर तले आंदोलन चलाने के बाद वे सभी जातियों में अपनी पैठ रखते हैं. ऐसे में आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाटी का पार्टी को छोड़ना पार्टी के लिए नुकसान भरा कदम हो सकता है. हालांकि पूर्व में भी भाटी एक बार भाजपा छोड़ चुके हैं. इतना ही नहीं पश्चिमी राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर में भाटी का प्रभाव हैं. ऐसे में इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि भाटी की पार्टी से नाराजगी पार्टी के लिए महंगी साबित हो सकती है.

Last Updated : Mar 15, 2019, 7:05 PM IST

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