बूंदी.चंबल नदी में हुए नाव दुखान्तिका हादसे ने सबको झकझोर कर रख दिया. हादसा इतना हृदय विदारक था कि इसमें किसी ने अपनी पत्नी को खो दिया, तो कुछ बच्चों के माताओं की मौत हो गई. वहीं, किसी के पिता इस हादसे में गुम हो गए, तो किसी व्यक्ति ने अपने जवान बेटे को खो दिया. इतने बड़े हादसे के पीछे प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई. लेकिन राजस्थान में आज भी ऐसे कई गांव हैं, जहां पुलिया नहीं होने के कारण लोग लकड़ी की जर्जर बोटों के सहारे नदियों को पार कर रहे हैं.
प्रदेश के बूंदी जिले में भी कई ऐसे गांव आज भी हैं, जहां पुलिया नहीं होने के कारण अपनी जान हथेली में रखकर लोग लकड़ी के नाव से नदी पाकर करके घर का सफर तय करते हैं. चंबल नदी में हुए दर्दनाक हादसे के बाद भी बूंदी जिले के प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है.
लोग अपनी जान हथेली पर रखकर कर रहे नदी पार
बूंदी शहर से 20 किलोमीटर दूर गांव है, बरूंधन गांव. जहां आजादी के 70 साल बाद भी पुलिया का निर्माण नहीं हो सका है. यहां पर घोड़ा पछाड़ नदी होकर गुजरती है. ऐसे में एक छोर पर बरूंधन का गांव का रस्ता है, तो दूसरे छोर पर बरूंधन गांव ही है. ऐसे में आने-जाने वाले लोग दिनभर नाव में सवार होकर शहर की तरफ आया-जाया करते हैं. बच्चे, बूढ़े, जवान हों या महिलाएं, सभी इसी तरह इस नाव में बैठकर यह रास्ता पार करते हैं.
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नावों पर सामान भी होता है लोड
यहां तक की ग्रामीण अपनी बाइकों, साइकिलों के साथ ही जरूरी सामानों को भी इसी नाव में लेकर सफर करते हैं. हालत तो तब बयां होती है, जब किसी प्रसूता को भी इसी नाव के सहारे बैठा कर अस्पताल ले जाया जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि कई बार प्रसूताओं ने नदी के रास्ते में ही दम तोड़ दिया है, क्योंकि लकड़ी से नाव से अस्पताल तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है. ग्रामीणों ने सरकार से पुलिया बनाने की मांग भी की, लेकिन आज तक उनकी समस्या की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया.
ग्रामीणों का कहना है कि राजनेता यहां पर वोट मांगने के लिए आते हैं, चुनाव खत्म होने के बाद जीत भी जाते हैं. लेकिन किसी ने भी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया और आज भी जस के तस हालात बने हुए हैं.
ग्रामीण कई बार सरकार से कर चुके हैं पुलिया बनाने की मांग
चंबल नदी पर हुए दुखद हादसे के बाद बूंदी के लोगों ने भी इस जगह पर पुलिया बनाने की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है 'हमें डर लगता है, हमारे लिए पुलिया बना दो साहब...वरना हम भी किसी दिन इस पानी में समा जाएंगे.' सरकार लाख दावे करें कि आज ग्रामीण एरिया में विकास हो रहा है, लेकिन बूंदी का बरूंधन गांव इस पुलिया का निर्माण नहीं होने से विकास के पथ में पिछड़ता जा रहा है.