बूंदी. विजयगढ़ गांव के लोग अब मतदान कर शराबबंदी की मांग कर रहे है. पुरे गावं ने जिला प्रशासन एवं आबकारी विभाग को चेतावनी दे दी है की प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की तो हम खुद ठेके बंद करवा देंगे. उन्होंने ने प्रशासन को मतदान करवाने के लिए तारीख देने की मांग की है लेकिन प्रशासन अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है. गांव के 15 युवाओं ने 5 वर्ष पूर्व यहां नशामुक्ति के खिलाफ अभियान शुरू किया था. नशे के खिलाफअभियान से भी गांव के युवाओं ने जुड़कर इस काम को रफ्तार दी. अब तक करीब 100 से अधिक नवयुवक तो इस अभियान में सक्रियता से जुड़कर नशामुक्त हो चुके हैं.
बूंदी: शराब बंदी की मांग को लेकर ग्रामीणों का जोरदार प्रदर्शन...Video - protest
बूंदी जिले के विजयगढ़ में युवाओं ने शराबबंदी और नशामुक्ति की अलख जगाई और अब यह परवान चढ़ने लगी है.अब पूरा गावं शराब बंदी के पक्ष आ गया है और रोज नए नए जतन कर रहा है.
जहां शहरी और पढ़े लिखे युवाओं में इस दौर में जहां नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, वहीं दूरदराज में बसे इस गांव में युवाओं में नशे के खिलाफ बना माहौल काबिले तारीफ है. सरपंच कमलेश मीणा ने शराबबंदी के तहत पंचायत के 60 प्रतिशत मतदाताओं से शराबबंदी के लिए हस्ताक्षर करवाए. इसमें महिलाओं ने पूरा सहयोग किया. 3 जून 2017 को हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन एसडीएम हिंडौली को सौंपा गया. इसके बाद आबकारी विभाग ने मतदाताओं के हस्ताक्षर का सत्यापन करवाया. जो सही पाया गया. इसके बाद एसडीएम हिंडौली ने 10 प्रतिशत मतदाताओं का सर्वे किया. सर्वे रिपोर्ट आबकारी आयुक्त उदयपुर को भेजी तो उन्होंने यह कहकर लौटा दी कि 20 प्रतिशत मतदाताओं का सर्वे कर भिजवाओ. 2 फरवरी 2018 को सर्वे रिपोर्ट भेजी थी. अब वहां से मतदान की तारीख का इंतजार है.
सरपंच के साथ 50 युवाओं की टीम इस पर कार्य कर रही है. इनमें हरिसिंह मीणा, बाबूलाल मीणा, कालूलाल मीणा, महावीर मीणा, पृथ्वीसिंह मीणा, भगवान मीणा हैं. नशे की लत को छुड़वाने का युवाओं ने बीड़ा उठाया हुआ है. बूंदी जिले में यह आंदोलन पिछले 10 वर्षों से पूरी गति के साथ चल रहा है. विजयगढ़, नमाना, अंथड़ा, चित्तौड़ियां, फालेंडा, देई, नैनवां, पगारा, बांसी, कूकड़ा डूंगरी नशामुक्ति के लिए आवाज उठाई जा रही है. सरकारी कानून के मुताबिक गांव में शराबबंदी के लिए मतदान करवाने का नियम है लेकिन अभी तक भी सरकार की ओर से गांव में मतदान करवाने की कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिससे ग्रामीणों और युवाओं की ओर से शुरू की गई इस पहल को अंजाम देने के लिए प्रशासन से कई बार इसकी तारीख की मांग की गई है लेकिन अभी भी यह तारीख नहीं मिलने चाहिए सपना अधूरा ही है.