बूंदी.सर्जन अनिल सैनी ने एक बार फिर इतिहास रचा है. जहां एक बच्ची के हाथ में 16.50 बाई 9.50 सेंटीमीटर साइज की गांठ को सफल ऑपरेशन कर बाहर निकाला है. डॉक्टर अनिल सैनी का कहना है कि दुनिया में ऐसे 7 केस है. जिनमें से हिंदुस्तान का यह पहला केस है यानी 8 वां केस बूंदी में हुआ है. बताया जा रहा है कि बच्ची को यह जन्म से ही गांठ थी. जिसको डॉक्टर ने सफलतापूर्वक बाहर निकाल दिया.
बता दें कि बूंदी के सरकारी अस्पताल के सर्जन ने 2 साल की बच्ची खुशी के हाथ में सिस्टक हायग्रोमा का ऑपरेशन किया. दुनिया में इस तरह के अब तक सात ऑपरेशन ही रिकॉर्डेड है और देश में पहला ऐसा ऑपरेशन जिला अस्पताल के सर्जन डॉक्टर अनिल सैनी ने सफल करके दिखाया है. दरअसल, सिस्टिक हायग्रोमा एक गांठ होती है और हाथ में सिस्टिक हायग्रोमा दुर्लभ है.
बूंदी में देश का पहला सिस्टिक हायग्रोमा का सफल ऑपरेशन पढ़ें- फेफड़ों ने दे दिया था जवाब...वेंटिलेटर भी हुआ फेल फिर भी बची जान, डॉक्टर बोले- ऐसा पहला मामला
बूंदी के केशवपुरा गांव की 2 साल की बच्ची खुशी के बाएं हाथ की कलाई में कोनी के बीच 16.50 बाई 9.50 सेंटीमीटर साइज की पैदाइश से गांठ थी. 14 अक्टूबर को केशवपुरा के छोटू लाल ने 2 साल की बच्ची खुशी को अस्पताल दिखाने के लिए आए थे. यहां पर सोनोग्राफी एवं अन्य जांच में पाया गया की बालिका को गांठ है और कठिन सिस्टिक हायग्रोमा है. इस पर डॉ. अनिल सैनी ने जिला अस्पताल में ही ऑपरेट करने की ठानी और अस्पताल में ऑपरेशन करना शुरू किया.
यहां पर बालिका को ब्लड चढ़ाया गया. हाथों की रक्त नलिका, नर्सों, नर्व टेंडन को बचाते हुए सफल ऑपरेशन किया. जो करीब 1 घंटे तक चला. ऑपरेशन कर निकाली गई गांठ को बायोप्सी के लिए जयपुर भेजा गया था. वहां से सिस्टिक हायग्रोमा कंफर्म हो गया. ऑपरेशन में डॉक्टर अनिल सैनी के साथ एस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर अनिल गुप्ता, डॉक्टर योगेश शर्मा, नर्सिंग असिस्टेंट उमारानी, मुकेश शामिल थे. ऑपरेशन के बाद बालिका पूरी तरीके से स्वस्थ है.
आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि किस तरीके से बच्ची के हाथ में बड़ी गांठ थी. जिसको बूंदी के सर्जन अनिल सैनी और उनकी टीम ने सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया और बच्ची को नया जीवनदान दिया. डॉक्टर अनिल सैनी का कहना है कि सिस्टिक हाय ग्रोमा बीमारी व गांठ गर्दन व गले, खाक एवं चेस्ट पर होती है. लेकिन हाथ पर इस तरीके की 16.50 बाई 9.50 सेंटीमीटर वाली गांठ थी. जिसे सफलतापूर्वक ऑपरेशन करके बाहर निकाल दिया. वहीं बालिका के सफल ऑपरेशन के बाद परिवार जन खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं और उन्होंने डॉक्टर एंड उनकी टीम को धन्यवाद दिया है.
पढ़ें- कोटा में 13 दिन के जुड़वा नवजात की दुर्लभ बीमारी का सफल ऑपरेशन, डॉक्टरों का दावा- देश में पहला मामला
वहीं डॉ. अनिल सैनी बताते हैं कि ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनय कुमार भी मानते हैं कि यह दुर्लभ केस है. जिसमें हाथ में इस तरह की बीमारी पाई गई. यह एक भी देश में रजिस्टर्ड नहीं की गई है. डॉक्टर सैनी ने बताया कि केस को इंटरनेशनल जनरल ऑफ सर्जरी एंड इंडियन जनरल ऑफ सर्जरी में रिपोर्टिंग की के लिए भेजेंगे. बता दें कि डॉक्टर सैनी इससे पहले भी एक मरीज का ऑपरेशन कर पेट से लोहे की 116 बड़ी किले निकाल चुके हैं.